मुरैना/मप्र। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में प्रशासनिक व्यवस्था उस समय चरमरा गई, जब तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने प्रदेश सरकार के एक फैसले के खिलाफ हड़ताल का रास्ता अपनाया। गुरुवार से शुरू हुई यह हड़ताल शुक्रवार को भी जोर-शोर से जारी रही, जिसमें अधिकारियों ने तहसील कार्यालयों के बाहर टेंट लगाकर धरना दिया। सरकार द्वारा तहसील स्तर पर न्यायिक और गैर-न्यायिक कार्यों के विभाजन के फैसले को लेकर यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है, जिसने जिले के प्रशासनिक कार्यों को पूरी तरह ठप कर दिया है। इस हड़ताल का सबसे ज्यादा खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है, जो अपने रोजमर्रा के जरूरी कामों के लिए तहसील कार्यालयों के चक्कर काट रही है।
क्या है हड़ताल का कारण?
मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में तहसील स्तर पर कार्यों को दो हिस्सों—न्यायिक और गैर-न्यायिक—में बांटने का फैसला लिया था। इस नई व्यवस्था के तहत कुछ तहसीलदारों को केवल न्यायिक कार्य (जैसे राजस्व न्यायालयों का संचालन) सौंपे गए हैं, जबकि अन्य को गैर-न्यायिक कार्य (जैसे कार्यपालिक दंडाधिकारी के दायित्व) करने होंगे। तहसीलदारों का कहना है कि यह विभाजन अव्यवहारिक और अनावश्यक है। उनके अनुसार, यह नई व्यवस्था न केवल उनके मूल राजस्व कार्यों से उन्हें वंचित कर रही है, बल्कि कार्यभार को भी बढ़ा रही है।
मुरैना के एक तहसीलदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम पहले से ही कर्मचारी और संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। इस विभाजन से कार्यों का दोहराव होगा, जिससे न केवल हमारा समय बर्बाद होगा, बल्कि जनता को भी बार-बार चक्कर काटने पड़ेंगे।” तहसीलदारों का यह भी आरोप है कि सरकार ने इस फैसले को लागू करने से पहले उनके साथ कोई चर्चा नहीं की, जिसके चलते वे लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने को मजबूर हैं।
हड़ताल का असर: तहसील कार्यालयों में सन्नाटा
हड़ताल के कारण मुरैना जिले की सभी तहसीलों में कामकाज ठप हो गया है। जमीन के नामांतरण, बंटवारे, आय और जाति प्रमाण पत्र जैसे जरूरी दस्तावेजों के लिए कार्यालय पहुंच रहे लोग निराश होकर लौट रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले किसानों और मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके लिए बार-बार तहसील कार्यालय आना समय और धन दोनों की बर्बादी है।
मुरैना के निवासी राम सिंह, जो अपने जमीन के दस्तावेजों के लिए तहसील कार्यालय आए थे, ने गुस्से में कहा, “हम सुबह से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। सरकार और अधिकारियों के बीच की इस लड़ाई में हम गरीब लोग ही पिस रहे हैं।”
धरने पर बैठे अधिकारी, मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी
हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने तहसील कार्यालयों के बाहर टेंट लगाकर धरना शुरू किया। मध्य प्रदेश कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले यह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल चुका है। मुरैना में अधिकारियों ने नारे लगाते हुए सरकार के खिलाफ अपना रोष जाहिर किया। संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, “हमारी मांग साफ है—सरकार इस विभाजनकारी नीति को वापस ले या इसमें संशोधन करे। हम केवल आपदा प्रबंधन से जुड़े कार्य करेंगे, बाकी सभी काम बंद रहेंगे।”
इस हड़ताल को प्रांतीय पटवारी संघ और राजस्व निरीक्षक संघ का भी समर्थन प्राप्त है। दोनों संगठनों के प्रतिनिधि धरना स्थल पर पहुंचे और तहसीलदारों के साथ एकजुटता दिखाई।
प्रशासनिक संकट: 80% कार्य प्रभावित
तहसीलदार और नायब तहसीलदार जिला प्रशासन की रीढ़ माने जाते हैं। कलेक्टोरेट में राजस्व से जुड़े 80% कार्य इन्हीं के जिम्मे होते हैं। इनके काम से हटने के कारण कलेक्टर, अपर कलेक्टर और एसडीएम के जरिए होने वाले अधिकांश मैदानी कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह हड़ताल लंबी खिंचती है, तो इसका असर न केवल मुरैना, बल्कि पूरे प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे पर पड़ सकता है।
सरकार का रुख: अब तक सन्नाटा
हड़ताल के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार या जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। सूत्रों के अनुसार, तहसीलदारों ने पहले ही अपनी मांगों को लेकर सरकार को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब न मिलने के कारण यह आंदोलन शुरू हुआ। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सरकार जल्द ही इस मामले में हस्तक्षेप कर सकती है और तहसीलदारों के साथ बातचीत का रास्ता तलाश सकती है।
आमजन से अपील, प्रशासन से सवाल
इस हड़ताल ने एक बार फिर प्रशासनिक सुधारों और कर्मचारी संगठनों के बीच संवाद की कमी को उजागर किया है। मुरैना की जनता अब सवाल उठा रही है कि आखिर इस तनातनी का हल कब निकलेगा? क्या सरकार तहसीलदारों की मांगों पर विचार करेगी, या यह गतिरोध और गहराएगा?
नोट: मुरैना जिला प्रशासन की वेबसाइट (morena.nic.in) पर उपलब्ध हेल्पलाइन नंबरों (0755-2411180, 1800 2332 797) के जरिए प्रभावित लोग संपर्क कर सकते हैं।
नोट: मुरैना जिला प्रशासन की वेबसाइट (morena.nic.in) पर उपलब्ध हेल्पलाइन नंबरों (0755-2411180, 1800 2332 797) के जरिए प्रभावित लोग संपर्क कर सकते हैं।
रिपोर्ट 🔹मुहम्मद इसरार खान ब्यूरो चीफ, मुरैना