लखीमपुर खीरी। यूपी के लखीमपुर खीरी में इटावा जैसा मामला प्रकाश में आया है। यहां एक कथा वाचक पर अपनी जाति छिपाकर श्रीमद्भागवत कथा करने का आरोप है। आरोप है कि पहले कथा वाचक ने खुद को ब्राह्मण बताया था फिर कथा के दरम्यान जब लोगों को उनकी पहचान छिपाने की बात पता चली तब कथा वाचक ने अपना नाम पारस मौर्य बताया। आक्रोश बढ़ता देखा, कथावाचक ने सार्वजनिक रूप से मंच से माफी मांगी और वहां से चले गए।

मामला लखीमपुर खीरी के खमरिया कस्बा स्थित रामजानकी मंदिर का है। यहां श्रीमद्भागवत कथा करने आए कथावाचक पर ब्राह्मण समाज ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी पहचान छिपाकर समाज के लोगों से पैर छुआए। लोगों को जब सोशल मीडिया से कथावाचक की जाति के बारे में जानकारी हुई, तो आक्रोशित समाज के लोगों ने उनका घेराव किया।

मामला लखीमपुर खीरी के थाना खमरिया कस्बे में रामजानकी मंदिर का है, जहां श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा था। ग्रामीण प्रतिदिन कथा सुनने के लिए भारी संख्या में आते थे। किसी तरह ग्रामीणों को भनक लगी कि जो कथावाचक कथा कर रहे हैं, बाबा ब्राह्मण नहीं, किसी और धर्म के हैं या किसी और जाति के हैं। इस पर लोगों का गुस्सा भड़क गया और कथावाचक से माफी मंगवाई।

खुद बताया नाम

लोगों को जाति का पता चलने पर बाबा ने खुद बताया कि उनका नाम पारस मौर्य है। उनका जन्म मौर्य वंश में हुआ है। उन्होंने कहा कि हमने जाति छुपाकर कथा की है, इससे अगर आपकी भावनाएं आहत हुई हों, तो क्षमा प्रार्थी हैं। सभी से माफी मांगते हैं। वायरल वीडियो में दिख रहा है कि माफी मांगने पर सामने मौजूद भीड़ अन्य भगवान के साथ जयकारा भी लगाती है।

खमरिया कस्बे में रहने वाले हरीश अवस्थी ने बताया कि हमारे गांव में एक ब्राह्मण भेष में एक आदमी आया और कहने लगा कि हम कथा करेंगे। हम लोगों ने उनका सम्मान करते हुए कथा का आयोजन कराया। लेकिन सोशल मीडिया पर उनके बारे में जानकारी हुई कि वह मैगलगंज के रहने वाले हैं और वह ब्राह्मण नहीं, मौर्य हैं। उनके गुरु से जब बात की गई, तो उनकी सच्चाई सामने आई। हम लोगों को पता चला कि ब्राह्मणों ने मौर्य के पैर छू लिए। इससे लोगों में आक्रोश हो गया, लेकिन कथा वाचक ने अब माफी मांग ली है। हम लोग अब संतुष्ट हैं।

दैनिक जिला नज़र – (नजरिया सच का) प्रिंट & सोशल मीडिया न्यूज़ नेटवर्क दैनिक जिला नज़र सत्यनिष्ठ पत्रकारिता और जनपक्षीय विचारधारा का विश्वसनीय मंच है। हम समाचारों को केवल प्रसारित नहीं करते—बल्कि उन्हें प्रमाणिकता, नैतिकता और गहन विवेक के साथ पाठकों तक पहुँचाते हैं। स्थानीय सरोकारों से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों तक, हर सूचना को हम निष्पक्ष दृष्टि, आधुनिक संपादकीय मानकों और जिम्मेदार मीडिया आचरण के साथ प्रस्तुत करते हैं। प्रिंट की गरिमा और डिजिटल की गति—दोनों का संतुलित संगम है "जिला नज़र"। हमारा ध्येय है— सत्य को स्वर देना, समाज को दिशा देना। दैनिक जिला नज़र जहाँ समाचार विश्वसनीयता की भाषा बोलते हैं।

error: Content is protected !!
Exit mobile version