समाचार सार:
आगरा में 300 स्कूलों के मर्ज के विरोध में शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन।
राष्ट्रवादी शिक्षक महासंघ के बैनर तले सैकड़ों शिक्षक डीएम कार्यालय पहुंचे।
नेतृत्व कर रहे कीर्ति पाल सिंह टाइगर ने कहा – सरकार की मर्ज नीति गरीब बच्चों के शिक्षा अधिकार पर हमला है।
शिक्षकों की नौकरी खतरे में और बच्चों की पढ़ाई अधर में लटक सकती है।
ज्ञापन में मांग – मर्ज आदेश तत्काल वापस लिया जाए, राइट टू एजुकेशन का सम्मान हो।
ज्ञापन सौंपने वालों में विजय सिंह, उदयभान सिंह, देवेंद्र सिंह, साइमा, अनुपम चौहान, डॉ. संजीव सहित दर्जनों शिक्षक शामिल रहे।
रिपोर्ट 🔹मुहम्मद इस्माइल
आगरा। बेसिक शिक्षा में सरकार की मर्ज नीति के खिलाफ शिक्षकों का गुस्सा रविवार को आगरा में खुलकर फूट पड़ा। राष्ट्रवादी शिक्षक महासंघ आगरा के बैनर तले सैकड़ों शिक्षक एकजुट होकर डीएम कार्यालय पहुंचे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम एडीएम (न्यायिक) को ज्ञापन सौंपा। आंदोलन का नेतृत्व कीर्ति पाल सिंह टाइगर ने किया।
आगरा में करीब 300 स्कूलों के मर्ज के प्रस्ताव को लेकर शिक्षकों में जबरदस्त आक्रोश है। उनका कहना है कि इससे न सिर्फ शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ेगी, बल्कि हजारों गरीब बच्चों से उनका शिक्षा का मौलिक अधिकार भी छिन जाएगा।
गरीब बच्चों से छिनेगा शिक्षा का अधिकार
शिक्षकों ने कहा कि स्कूलों का मर्ज दूसरे गांवों में किया जा रहा है, जहां तक पहुंचने के लिए बच्चों के पास ना संसाधन हैं, ना परिवहन की सुविधा। इससे वे बच्चे शिक्षा से पूरी तरह वंचित हो जाएंगे।
शिक्षक संघ ने आरोप लगाया कि सरकार अपनी विफल नीतियों का ठीकरा शिक्षकों पर फोड़ रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार राइट टू एजुकेशन की बात करती है, तो फिर स्कूल बंद करके वह संविधान की भावना के साथ खिलवाड़ क्यों कर रही है?

ज्ञापन में की ये मांगें:
- स्कूलों का मर्ज आदेश तत्काल वापस लिया जाए
- गरीब बच्चों की शिक्षा के अधिकार की रक्षा की जाए
- शिक्षकों की नौकरी को संकट से बाहर लाया जाए
- शिक्षा व्यवस्था को शिक्षक विरोधी न बनाकर जनहितकारी बनाया जाए
मौके पर मौजूद रहे शिक्षक:
विजय सिंह, उदयभान सिंह, देवेंद्र सिंह, साइमा, अनुपम चौहान, सचिन उपाध्याय, प्रभाकर, डॉ. संजीव, मनीष, अजय, जीशान सहित अनेक शिक्षक मौके पर डटे रहे और शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध दर्ज कराया।
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