ऋषि पंचमी | हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व सप्तऋषियों (सात महान ऋषियों) को समर्पित है और विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी विशेष है। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।
ऋषि पंचमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, ऋषि पंचमी 2025 का पर्व 28 अगस्त 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन की तिथि और शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:
पंचमी तिथि प्रारंभ: 27 अगस्त 2025, दोपहर 03:44 बजे
पंचमी तिथि समाप्त: 28 अगस्त 2025, शाम 05:56 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त: 28 अगस्त 2025, सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:39 बजे तक (अवधि: 2 घंटे 34 मिनट)
उदयातिथि के अनुसार, व्रत और पूजा 28 अगस्त को ही की जाएगी। पूजा के लिए यह समय अत्यंत फलदायी माना जाता है।
ऋषि पंचमी का महत्व
ऋषि पंचमी का पर्व सप्तऋषियों—कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ—के सम्मान में मनाया जाता है। ये ऋषि भारतीय संस्कृति में ज्ञान, तप और त्याग के प्रतीक हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
पापों का शमन: यह व्रत जाने-अनजाने में हुए पापों, विशेषकर महिलाओं द्वारा मासिक धर्म के दौरान अनजाने में हुए दोषों से मुक्ति दिलाता है।
संतान सुख और वैवाहिक जीवन में सौहार्द्र: मान्यता है कि यह व्रत निसंतान दंपतियों को संतान सुख और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है।
आध्यात्मिक शुद्धि: यह व्रत आत्मा और शरीर की शुद्धि के साथ-साथ मानसिक शांति और आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है।
पितरों की शांति: यह पर्व पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य और समृद्धि: सप्तऋषियों की कृपा से परिवार में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक ब्राह्मण परिवार की बेटी ने विवाह के बाद मासिक धर्म के दौरान शास्त्रों के नियमों का पालन नहीं किया। परिणामस्वरूप, मृत्यु के बाद उसे कीट योनि प्राप्त हुई। जब उसके माता-पिता ने इसका कारण पूछा, तो ऋषियों ने बताया कि यह दोष मासिक धर्म के नियमों के उल्लंघन के कारण हुआ। उन्होंने प्रायश्चित के लिए ऋषि पंचमी व्रत का विधान बताया। तब से यह व्रत पवित्रता और प्रायश्चित के लिए मनाया जाता है।
ऋषि पंचमी पूजा विधि
ऋषि पंचमी का व्रत और पूजा अत्यंत नियमबद्ध तरीके से की जाती है। नीचे पूजा की विधि दी गई है:
प्रातः स्नान: सूर्योदय से पहले उठकर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें। यदि संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
स्वच्छ वस्त्र धारण: स्नान के बाद हल्के रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल की तैयारी: घर के मंदिर या स्वच्छ स्थान पर हल्दी, कुमकुम और रोली से चौकोर मंडल बनाएं। उस पर सप्तऋषियों की तस्वीर या प्रतीक स्थापित करें।
कलश स्थापना: एक जल से भरा कलश पूजा स्थल पर रखें।
सप्तऋषि पूजन: सप्तऋषियों को धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई और पंचामृत अर्पित करें। उनके माथे पर तिलक लगाएं।
मंत्र उच्चारण: निम्नलिखित मंत्र का जाप करें: “कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥ दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्णन्त्वर्घ्यं नमो नमः।” यह मंत्र पापों का नाश और शुद्धि के लिए प्रभावी माना जाता है।
व्रत कथा: ऋषि पंचमी की कथा सुनें
आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में सप्तऋषियों की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
दान और ब्राह्मण भोजन: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें।
व्रत के नियम और सावधानियां
इस दिन मांसाहार, शराब और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।
व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और क्रोध, झूठ या चुगली से बचना चाहिए।
पूजा के दौरान शुद्धता और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखें।
किसी का अपमान न करें और मन में सकारात्मक भाव रखें।
आधुनिक संदर्भ में ऋषि पंचमी
ऋषि पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें स्वच्छता, अनुशासन और आत्म-नियंत्रण का महत्व भी सिखाता है। यह पर्व हमें अपने गुरुओं और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की प्रेरणा देता है। आधुनिक समय में यह व्रत मानसिक शांति, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बन सकता है।
ऋषि पंचमी 2025 का पर्व 28 अगस्त को भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व सप्तऋषियों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने का अवसर है। इस दिन व्रत, पूजा और दान करने से न केवल धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। इस पर्व को पूरे विधि-विधान से मनाकर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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