आगरा। मण्डलायुक्त शैलेन्द्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में आगरा मण्डल के कर-करेत्तर कार्यों, राजस्व वसूली तथा राजस्व वादों के निस्तारण को लेकर एक ऑनलाइन मण्डलीय समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी जनपदों की विभागवार प्रगति की गहन समीक्षा की गई।
वाणिज्य कर की समीक्षा में मथुरा जनपद की स्थिति सबसे खराब पाई गई, जबकि मैनपुरी ने अच्छी प्रगति दर्ज की। मण्डलायुक्त ने मथुरा और फिरोजाबाद में वाणिज्य कर वसूली की प्रगति में शीघ्र सुधार लाने के निर्देश दिए। स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन मद में सभी जिलों को क्रमिक रूप से वसूली बढ़ाने के निर्देश दिए गए।
परिवहन मद में आगरा तथा विद्युत मद में फिरोजाबाद और मैनपुरी की वसूली प्रगति संतोषजनक न पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों को सुधारात्मक कार्रवाई करने को कहा गया। ओवरऑल क्रमिक वसूली की समीक्षा में मैनपुरी और मथुरा की स्थिति बेहतर रही, जबकि आगरा की प्रगति सबसे कम पाई गई। इस पर मण्डलायुक्त ने आगरा जनपद को निर्देश दिए कि मांग के सापेक्ष इसी माह अधिकतम वसूली सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए गए। अंश निर्धारण में मैनपुरी और मथुरा की प्रगति कम पाए जाने पर अपर जिलाधिकारियों को नियमित समीक्षा कर प्रगति बढ़ाने के निर्देश दिए गए। साथ ही अंश निर्धारण में त्रुटि सुधार से जुड़े अवशेष प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण और फिरोजाबाद को छोड़कर अन्य जिलों में अधिक असहमति वाले प्रकरणों की विशेष समीक्षा करने को कहा गया।
मण्डलायुक्त ने रियल टाइम खतौनी में लंबित चकबंदी कार्य नियमित रूप से करने तथा स्वामित्व योजना के अंतर्गत प्रपत्र-5 और प्रपत्र-6 के लंबित मामलों का शीघ्र निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। राजस्व वादों के निस्तारण की समीक्षा में प्रदेश स्तरीय रैंकिंग के अनुसार मैनपुरी चौथे, आगरा 13वें, फिरोजाबाद 23वें और मथुरा 27वें स्थान पर रहा। मण्डलायुक्त ने निर्देश दिए कि मण्डल के सभी राजस्व न्यायालयों में सुनवाई की संख्या बढ़ाकर वाद निस्तारण प्रतिशत में वृद्धि की जाए। विशेष रूप से 5 वर्ष से अधिक लंबित वादों का निस्तारण फिरोजाबाद और मैनपुरी में प्राथमिकता के आधार पर किया जाए।
मण्डलायुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी राजस्व न्यायालयों में उपजिलाधिकारी, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार नियमित रूप से सुनवाई करें, 3 और 5 वर्ष से अधिक पुराने वादों का प्राथमिकता से निस्तारण हो तथा कम्प्यूटरकृत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल पर सभी वादों की प्रविष्टि अनिवार्य रूप से की जाए। साथ ही अवर न्यायालयों को प्रेषित मांग से संबंधित पत्रावलियां समय से उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए।

