📝 समाचार सार :

• आगरा नगर निगम ने कूड़ा उठाने की सेवा को निजी कंपनी VS Waste Private Limited को सौंप दिया है। अब हर घर से ₹70 महीना “यूज़र चार्ज” के नाम पर वसूला जा रहा है।
• यह वसूली बिना किसी सार्वजनिक सूचना, पर्चे, या मुनादी के की जा रही है। स्थानीय पार्षद भी इससे पल्ला झाड़ रहे हैं। पहले से हाउस टैक्स, जलकर और सीवरेज टैक्स वसूलने के बाद अब इसी सेवा के लिए अलग से शुल्क लिया जा रहा है।
• जनता सवाल पूछती है, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं।
स्वच्छ भारत मिशन की आड़ में यह व्यवस्था सेवा नहीं, सीधी वसूली बन गई है—ठेका निजी कंपनी को, बोझ जनता पर।

नगर निगम ने कूड़ा उठाने के नाम पर निजी कंपनी के हाथों सौंपा शहर, बिना सूचना हर घर से वसूला जा रहा शुल्क, जनता सवाल पूछे तो ‘हम ज़िम्मेदार नहीं’ का रटा राग।

📢 विशेष रिपोर्ट

आगरा। क्या “स्वच्छ भारत मिशन” अब एक निजी वसूली अभियान बन गया है? आगरा नगर निगम ने अब कूड़ा उठाने को सेवा नहीं, सीधे वसूली का जरिया बना दिया है। नगर की गलियों में अब कूड़ा उठाने से पहले शुल्क उठाया जा रहा है—वह भी हर घर से ₹70 प्रतिमाह। और यह कोई टैक्स नहीं, “यूज़र चार्ज” है, जिसे सीधे एक प्राइवेट कंपनी VS Waste Private Limited वसूल रही है।

बिना कोई पूर्व सूचना, बिना जनसुनवाई, बिना पर्चे, न कोई मुनादी, और न ही स्थानीय पार्षद की भागीदारी—सीधा दरवाज़े पर वसूलीकर्मी भेजे जा रहे हैं, और बोला जा रहा है: “यूज़र चार्ज दो, नहीं तो…”

जब नगलापदी वार्ड में लोगों ने आपत्ति जताई, तो स्थानीय पार्षद ने कहा:

🔹 “इस वसूली से मेरा कोई लेना-देना नहीं, नगर निगम ने काम ठेके पर दे दिया है।”

सवाल खड़े हैं, और तीखे हैं:

अगर नगर निगम पहले से हाउस टैक्स, जलकर, सीवरेज टैक्स ले रहा है, तो कूड़ा उठाने का अलग से शुल्क क्यों?

• यह दर किसने तय की? जनता से राय कब ली गई?

• क्या अब नगर निगम की भूमिका केवल ठेके बांटने की रह गई है?

अगर सेवा आउटसोर्स हो रही है, तो जवाबदेही भी आउटसोर्स क्यों नहीं हो रही?



ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि ये मॉडल पूरे आगरा में लागू किया जा रहा है।
आज ₹70 लिया जा रहा है, कल ₹150 माँगा जाएगा। और ये सब उसी स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर हो रहा है, जिसे कभी “जनभागीदारी का उत्सव” बताया गया था।

अब वही मिशन सिर्फ़ रसीद कटवाने का माध्यम बन चुका है। सेवा मिले या न मिले, वसूली तय है।

📌 यह नगर निगम की व्यवस्था नहीं, एक नए किस्म की “ठेकेदारी वसूली व्यवस्था” है—जहाँ सेवा के नाम पर निजी कंपनी को जनता पर लादा जा रहा है।
सफाई के नाम पर गंदा खेल खेला जा रहा है।
कूड़ा उठे न उठे, जेब ज़रूर खाली होगी।

महत्वपूर्ण सुझाव :

  • “जनता सावधान रहे!”
  • बिना पहचान पत्र के किसी से कोई भुगतान न करें।
  • हर भुगतान की रसीद माँगें।
  • इस पूरी प्रक्रिया की वैधता पर RTI डालें।
  • पार्षद और नगर निगम से लिखित जवाब माँगें।

    📍साभार –

    🔹विनोद भारद्वाज

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