रिपोर्ट 🔹रोहित साहू

गुरसरांय (झांसी)। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारदर्शिता के नाम पर शुरू की गई “पॉस मशीन” से राशन वितरण प्रणाली, अब गरीबों के लिए दुश्वारियों का पर्याय बन गई है। तीन दिनों से ठप पड़ा सर्वर, गरीबों की भूख पर भारी पड़ रहा है।

हर दिन सुबह से शाम तक कोटेदार की दुकान के बाहर लंबी कतारों में लगे जरूरतमंद, केवल सर्वर आने की आस में टकटकी लगाए खड़े रहते हैं। सर्वर न आने से राशन वितरण ठप है और खाली हाथ लौटते कार्डधारकों के चेहरों पर बेबसी साफ झलक रही है।

सबसे ज्यादा पीड़ा महिलाएं और बुज़ुर्ग उठा रहे हैं जो घंटों की मेहनत और धूप के बाद भी एक दाना तक नहीं पा रहे। कोटेदारों की मानें तो ये समस्या नई नहीं है—हर महीने किसी न किसी दिन सर्वर रुकावट या फिंगर प्रिंट मैच न होने से वितरण रुक ही जाता है। मगर अब यह सिलसिला लगातार चल रहा है।

🔴 जनता का सवाल — राशन मिलेगा या सिर्फ इंतज़ार?

एक तरफ़ सरकार “गरीब कल्याण” की बात करती है, वहीं दूसरी ओर भूखे पेट राशन की लाइन में खड़े मजदूर सोच रहे हैं—”हम काम करें या सर्वर का इंतजार?”
पांच दिन से लगातार ठप सर्वर, अब न सिर्फ़ खाद्यान्न रोक रहा है बल्कि गरीबों की दिहाड़ी पर भी ग्रहण बन गया है।

सरकार को बनानी होगी वैकल्पिक व्यवस्था!भूख कोई राजनीति नहीं समझती!

सरकार द्वारा दी जाने वाली यह योजना जब सर्वर पर निर्भर हो गई है, तो इसके विफल होने पर कोई बैकअप प्लान क्यों नहीं? अगर लाभार्थी काम पर जाए तो राशन छूटता है, और राशन की लाइन में खड़ा हो तो रोज़ी-रोटी छूटती है।

लाभार्थियों की मांग है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पर तुरंत संज्ञान लें और सर्वर फेल होने की स्थिति में वैकल्पिक वितरण व्यवस्था लागू करें, ताकि किसी गरीब की थाली खाली न रहे।

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