वृन्दावन । महान स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, और समाज सुधारक स्वर्गीय राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के 139वें जन्मदिवस के पावन अवसर पर सोमवार को वृंदावन में एक विशाल प्रेम धर्म-पदयात्रा का आयोजन किया गया। यह पदयात्रा राजा महेन्द्र प्रताप सिंह को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किए जाने की मांग के समर्थन में निकाली गई थी, जिसमें बड़ी संख्या में समर्थक शामिल हुए।
केसी घाट से समाधि स्थल तक पदयात्रा
इस ऐतिहासिक पदयात्रा का आयोजन राजा साहब के प्रपौत्र कुंवर चरत प्रताप सिंह के नेतृत्व में किया गया। पदयात्रा सुबह 10 बजे परिक्रमा मार्ग स्थित केसी घाट से शुरू हुई। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रनायक राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के अतुलनीय योगदान को रेखांकित करना था। पदयात्रा का समापन समाधि स्थल पर हुआ, जहाँ उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और अनुयायियों ने राजा साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
प्रपौत्र ने किया योगदान याद
कुंवर चरत प्रताप सिंह ने इस अवसर पर राजा साहब के विराट योगदान को याद करते हुए कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने 1909 में वृंदावन में देश का पहला पॉलिटेक्निक प्रेम महाविद्यालय स्थापित किया था। उन्होंने देश की आजादी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1915 में काबुल में प्रोविजनल गवर्नमेंट ऑफ इंडिया बनाई थी। वे एक लेखक, समाज सुधारक होने के साथ-साथ 1957 में मथुरा से सांसद भी चुने गए थे। कुंवर चरत प्रताप ने नागरिकों से इस पदयात्रा में सम्मिलित होकर मांग को बल देने की अपील की। आयोजन को सफल बनाने में ललित चौधरी, अरविंद चौधरी, और डॉ. जेएस जाट जैसे प्रमुख सहयोगियों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
