आगरा। एत्मादुद्दौला थाना क्षेत्र में शुक्रवार-शनिवार की रात कथित “भाई द्वारा भाई की पिटाई से हत्या” के आरोप की सच्चाई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उजागर कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार, मृतक रागेंद्र सिंह के शरीर पर एक भी चोट का निशान नहीं मिला। चिकित्सकों ने पुष्टि की कि रागेंद्र की मौत हार्ट अटैक (हृदय गति रुकने) से हुई थी, न कि किसी प्रकार की मारपीट से।
इस खुलासे के बाद पुलिस ने हत्या के आरोप को खारिज कर दिया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर परिवार ने झूठी हत्या की कहानी क्यों गढ़ी और घटना को ज़मीन विवाद से जोड़ने की कोशिश क्यों की गई।
घटना का पृष्ठभूमि
एत्मादुद्दौला थाना क्षेत्र के नुनिहाई लिंक रोड निवासी रागेंद्र सिंह की शनिवार देर रात अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई थी।
परिवार ने शुरुआत में इसे सामान्य मौत बताया, लेकिन कुछ ही देर बाद बयान बदलते हुए बड़े भाई साहब सिंह पर पिटाई कर हत्या करने का आरोप लगा दिया।
परिजनों ने आरोप लगाया था कि साहब सिंह ने रात में घर का दरवाजा खुलवाकर रागेंद्र के पेट और छाती पर घूंसे मारे, जिससे वह बेहोश हो गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उजागर हुआ सच
इंस्पेक्टर देवेंद्र दुबे ने घटना को गंभीरता से लेते हुए शव को तत्काल पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
रिपोर्ट आने पर मामला पलट गया —
मृतक के शरीर पर किसी भी हिस्से में चोट या बाहरी निशान नहीं पाए गए।
चिकित्सकों ने स्पष्ट लिखा कि मौत का कारण “हृदय गति रुकना (कार्डियक अरेस्ट)” है।
इस आधार पर पुलिस ने हत्या की धारा में कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया और माना कि मामले को जानबूझकर हत्या का रूप देने की कोशिश की गई।
परिवार के बयान पर उठे सवाल
जांच में सामने आया कि पहली तहरीर में परिजनों ने हत्या का ज़िक्र नहीं किया था, लेकिन बाद में संशोधित तहरीर में यह आरोप जोड़ दिया गया। इस विरोधाभास ने पुलिस को मामले की सत्यता पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया।
अब पुलिस मान रही है कि यह एक स्वाभाविक मृत्यु (प्राकृतिक कारण से) थी, जिसे ज़मीन के बंटवारे की रंजिश में “हत्या” का रंग देने की कोशिश की गई।

