आगरा। आज फतेहपुर सिकरी क्षेत्र दूरा में स्थित एमबीडी डिग्री कॉलेज में वीर अमर शहीद अब्दुल हमीद पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए साथ ही कॉलेज के प्रबंधक डॉक्टर भूरी सिंह उर्फ अब्दुल जब्बार द्वारा छात्र-छात्राओं को बताया कि 1965 की जंग में पाकिस्तानी दुश्मनों पर अकेले भारी पड़े थे। अब्दुल हमीद ने साधारण गन से कई टैंक उड़ा दिए थे ,1965 का युद्ध और इसके कई वीर योद्धाओं का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है। उन्हीं वीर जवानों में से एक परमवीर चक्र से सम्मानित अब्दुल हमीद थे। उन्होंने अकेले ही पाकिस्तान के आठ पैटन टैंकों को अपने साधारण रिकॉयलेस गन से ध्वस्त कर दिया था। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से भारत सरकार ने सम्मानित किया था।

पाकिस्तान की आठ टैंकों पर अकेले भारी पड़े वीर अब्दुल हमीद,एक बार नहीं बल्कि कई बार हमारे देश के वीर जवानों ने अपने दुश्मनों को धूल चटाई है। आजादी के बाद चाहे 1965 की लड़ाई हो या 1971 का युद्ध हो या फिर कारगिल युद्ध, हर बार वीर जवानों ने दुश्मनों की सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया है। युद्ध और इसके कई वीर जवानों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।
हम परमवीर चक्र उस वीर जवान की बात करेंगे, जिन्होंने 1965 के युद्ध में अकेले ही पाकिस्तानी सेना की खटिया खड़ी कर दी थी। अकेले ही इन्होंने पाकिस्तान की आठ पैटन टैंकों को नष्ट कर के लड़ाई का पूरा रुख ही बदल दिया था। आगे बताया कि
बचपन से ही निशानेबाजी और कुश्ती में रही दिलचस्पी थी।

वीर अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में 1 जुलाई, 1933 में हुआ था। बचपन में ही उन्होंने भारतीय सेना का हिस्सा बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। इनके पिता पेशे से दर्जी थे, तो आर्मी का हिस्सा बनने से पहले वो अपने पिता की मदद करते थे। हालांकि, इसमें उन्हें खास दिलचस्पी नहीं थी, उनकी दिलचस्पी लाठी चलाने, कुश्ती करने और निशानेबाजी में थी।

20 साल की उम्र में अब्दुल हमीद ने वाराणसी में भारतीय सेना की वर्दी पहनी। ट्रेनिंग के बाद उन्हें 1955 में 4 ग्रेनेडियर्स में पोस्टिंग मिली। 1962 की लड़ाई के दौरान उनको 7 माउंटेन ब्रिगेड, 4 माउंटेन डिवीजन की ओर से युद्ध के मैदान में भेजा गया। उनकी पत्नी रसूलन बीबी ने बताया कि शादी के बाद यह उनका पहला युद्ध था, जिस दौरान वह जंगल में भटक गए थे और कई दिनों बाद घर लौटे थे। रसूलन बीबी ने यह भी बताया कि उस दौरान हामिद ने पत्ते खाकर खुद को जिंदा रखा था। यह सब बातें सुनकर अध्यापकों व छात्र-छात्राओं की आंखें नम हो गई और अब्दुल हमीद को शत-शत नमन कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।इस मौके पर अखंड भारत परशुराम सेवा के प्रमुख शीशपाल कटरा, प्रधानाचार्य डॉक्टर एसपी वर्मा, अरविंद चाहर, बॉबी चाहर, मूलचंद राजपूत एवं कई छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

  • रिपोर्ट – दिलशाद समीर
Exit mobile version