आगरा। आस्था के महापर्व छठ पूजा पर यमुना घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा। महिलाएं नंगे पैर यमुना में स्नान के लिए पहुंची। इसके बाद महिलाओं ने घाट पर वेदी बनाकर पूजा की। इसके साथ ही सूप में फल, ठेकुआ आदि सामग्री सहित पानी व गाय के दूध से उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया।
सोमवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को श्रद्धालुओं ने छठ का पहला अर्घ्य दिया। बल्केश्वर, एत्माद्दौला, सिकंदरा आदि क्षेत्रों में अर्घ्य देने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। व्रतियों का दोपहर 2:00 बजे से यमुना घाट किनारे पहुंचना शुरू हो गया था। कई लोगों ने घरों की छतों पर अस्थाई तालाब बना कर अर्घ्य दिया। व्रतियों के रंग बिरंगे परिधान और भक्ति में लोकगीत कदम कदम पर शांति का संदेश देते रहे।
बल्केश्वर के यमुना घाट पर अपर जिला जज ज्ञानेन्द्र राव भी अपनी पत्नी निरूपमा राव के साथ पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचे। निरुपमा राव ने सूर्य को अर्घ्य दिया। वह बोलीं कि वह हर साल व्रत रहती हैं, उन्होंने यह भी कहा कि छठ मैया की पूजा से मन को शांति मिलती है। शरीर का कष्ट भी दूर होता है। छठ मैया का ही करिश्मा है कि इतना कठिन व्रत भी आसान लगता है। छठ मैया की भक्ति से शक्ति का संचार होता है। निर्जल व्रत में भी थकान महसूस नहीं होती है।
आज डूबते सूर्य को अर्घ्य, कल उगते सूर्य को
सोमवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया, जबकि मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा। छठ पर्व पर व्रती महिलाएं 36 घंटे तक बिना जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं, जो आस्था, अनुशासन और आत्मसंयम का प्रतीक है। पूर्वांचल समिति की ओर से भी कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

