लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन अधिनियम, 2025 (VB-G RAM) को ग्रामीण भारत के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। यह अधिनियम लगभग बीस वर्ष पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का आधुनिक और व्यापक स्वरूप है, जिसे विकसित भारत 2047 के दीर्घकालिक लक्ष्य से जोड़कर तैयार किया गया है। नए कानून के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 125 दिनों के गारंटीकृत रोजगार का कानूनी अधिकार दिया गया है, जिससे ग्रामीण परिवारों की आय सुरक्षा को और मजबूत करने का प्रयास किया गया है।

यह अधिनियम केवल रोजगार उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य स्थायी और उत्पादक ग्रामीण अवसंरचना का निर्माण भी है। इसके अंतर्गत जल सुरक्षा, ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका से जुड़े संसाधन तथा जलवायु और आपदा प्रबंधन से संबंधित कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। इन कार्यों से निर्मित परिसंपत्तियों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना का हिस्सा बनाया जाएगा, जिससे देशभर में एक समन्वित और दीर्घकालिक विकास मॉडल को बढ़ावा मिलेगा।

सरकार का मानना है कि इस कानून से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। जल संरक्षण और सिंचाई परियोजनाएं कृषि उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होंगी, जबकि सड़क, संपर्क और भंडारण जैसी सुविधाएं किसानों और ग्रामीण उद्यमियों को बाजार से बेहतर ढंग से जोड़ेंगी। आजीविका से जुड़ी अवसंरचना के विकास से ग्रामीण क्षेत्रों में आय के नए स्रोत बनेंगे और लोगों को अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिलेगा, जिससे शहरों की ओर मजबूरी में होने वाले पलायन में कमी आने की उम्मीद है।

किसानों के लिए यह अधिनियम विशेष रूप से लाभकारी माना जा रहा है। कृषि के प्रमुख मौसम में श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 60 दिनों की कार्यरहित अवधि का प्रावधान किया गया है, ताकि बुवाई और कटाई के समय मजदूरों की कमी न हो। साथ ही जल संरक्षण, सिंचाई, भंडारण और बाजार संपर्क से जुड़ी परिसंपत्तियां किसानों की लागत घटाने और आय बढ़ाने में मददगार होंगी। जलवायु अनुकूलन से जुड़े कार्य प्राकृतिक आपदाओं से फसलों की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाएंगे।

मजदूरों के लिए भी यह कानून आय, सुरक्षा और पारदर्शिता के नए अवसर लेकर आया है। 125 दिनों की रोजगार गारंटी से उनकी संभावित आय में बढ़ोतरी होगी और डिजिटल भुगतान प्रणाली के जरिए समय पर मजदूरी सुनिश्चित की जाएगी। यदि किसी कारणवश काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान भी किया गया है। इसके अलावा, जिन परिसंपत्तियों का निर्माण होगा, उनका प्रत्यक्ष लाभ श्रमिकों और उनके परिवारों को मिलेगा।

सरकार का कहना है कि ग्रामीण भारत में बदली हुई सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए मनरेगा में संरचनात्मक बदलाव जरूरी हो गए थे। गरीबी में कमी, बढ़ती डिजिटल पहुंच और विविध होती आजीविकाओं के बीच विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन अधिनियम, 2025 को एक आधुनिक, जवाबदेह और भविष्य उन्मुख ढांचे के रूप में पेश किया गया है, जो ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है।

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