नागपंचमी विशेष:   नागपंचमी का पावन पर्व आते ही देश की धरती पर सर्पों की पूजा का सिलसिला शुरू हो जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि राजनीति के जंगल में भी सांपों की एक अनूठी प्रजाति फन उठाए घूमती है? यहाँ हम आपके लिए लाए हैं एक व्यंग्यपूर्ण विश्लेषण, जो देश की सियासी सर्प-संस्कृति को बेनकाब करता है। तो तैयार हों, क्योंकि इस बार हम “नागदेवता” की पूजा के साथ-साथ उनके “राजनीतिक अवतारों” की भी पड़ताल करेंगे!

1. वोट-विषधर: चुनावी मायाजाल के माहिर

ये वो सियासी सर्प हैं, जो चुनावी मौसम में मीठे वादों का दूध पिलाकर जनता को सम्मोहित करते हैं। इनका विष इतना शक्तिशाली होता है कि पांच साल तक मतदाता उसकी मार से तड़पता रहता है। इनके फन पर लिखा होता है – “सबका साथ, सबका विकास”, लेकिन असल में ये सिर्फ “सबका वोट” की पूजा करते हैं। नागपंचमी पर इनकी पूजा का मंत्र है: चुनाव आएगा, झूठ बोलेगा, वादा करेगा, भूल जाएगा।

2. कुर्सी-कोबरा: सत्ता का भूखा फन

ये वो प्रजाति है जो कुर्सी की पूजा में रत रहती है। इनका फन सत्ता के रंग में रंगा होता है, और इनका लक्ष्य सिर्फ सिंहासन पर चढ़ना है। जनसेवा का ढोंग रचते हुए ये दूध की जगह “टिकट” और “पद” का भोग ग्रहण करते हैं। नागपंचमी पर इनके लिए खास उपाय: एक माला, दो वचन, और ढेर सारा वादों का मंत्र!

3. बयान-नाग: टीआरपी का जहर

ये सर्प टीवी स्क्रीन पर हर दिन नया बयान-विष उगलते हैं। इनके काटने से जनता भले ही बेचैन हो, लेकिन चैनलों की TRP की थाली में ये मजे लेते हैं। इनका जहर इतना तीखा होता है कि एक बयान से पूरा देश दो फाड़ हो जाता है। नागपंचमी पर इनकी पूजा का तरीका: माइक चढ़ाओ, कैमरा सजाओ, और ड्रामे का तड़का लगाओ!

4. दल-बदलू सांप: रंग बदलने का उस्ताद

ये वो चिकने सर्प हैं जो एक पार्टी से दूसरी पार्टी में फिसलते रहते हैं। इनका कोई स्थायी ठिकाना नहीं, बस मौका देखकर रंग बदल लेते हैं। इनके फन पर लिखा होता है – “जहाँ टिकट, वहाँ बिकट”। नागपंचमी पर इनके लिए दूध की जगह “सौदेबाजी का प्रसाद” चढ़ाएं, तुरंत लपक लेंगे!

5. विकास-नाग: सपनों का सांप

ये वो सर्प हैं जो हर चुनाव में “विकास” की नागमणि दिखाते हैं, लेकिन पांच साल बाद जनता को सिर्फ अधूरी सड़कें और कागजी योजनाएँ थमाते हैं। इनका जहर इतना मीठा होता है कि लोग बार-बार इनके चंगुल में फंसते हैं। नागपंचमी पर इनकी पूजा का मंत्र: वादा करो, सपना बेचो, अगला चुनाव फिर से लाओ!

नागपंचमी की सियासी सलाह

भोग: वोटर कार्ड के साथ थोड़ा सा विश्वास चढ़ाएं, ताकि सांप खुश रहें।

मंत्र: सांप को दूध, नेता को वोट, पांच साल बाद फिर से हो भोट!

सावधानी: इन सियासी सर्पों से आँख मिलाने से बचें, वरना “विकास” के जंगल में भटक जाएंगे।

तो इस नागपंचमी, अपने आसपास के “राजनीतिक नागों” को पहचानें, उनके फन को हल्के से थपथपाएँ, और वोट की बीन बजाते हुए एक मुस्कान बिखेरें। जय हो सियासी नागदेवता की! 🐍✨

"गांव से शहर तक, गलियों से सड़क तक- आपके इलाके की हर धड़कन को सुनता है "जिला नजर" न्यूज़ नेटवर्क: नजरिया सच का

Exit mobile version