अचानक हुई मौत ने झकझोरा, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, जीवन की निस्सारता का गहरा बोध कर गई यह विदाई

मेरठ।  वार्ड-67 कैलाशपुरी शास्त्रीनगर के पार्षद गगनदीप गौतम (42) का अचानक यूं चले जाना पूरे शहर को स्तब्ध कर गया। एक तेज़तर्रार, मिलनसार नेता जो अपने बूते चुनाव जीतकर भाजपा प्रत्याशी को हराने के बाद स्वयं भाजपा में शामिल हुआ था — वही गगनदीप बृहस्पतिवार सुबह खुद स्कूटी चलाकर अस्पताल गया, और दस मिनट बाद ही जीवन से हार गया।

सुबह अचानक सीने में तेज़ दर्द उठा। पहले भी तीन दिन से हल्का दर्द था, लेकिन उन्होंने मेडिकल स्टोर से दवा लेकर बात को टाल दिया था। इस बार दर्द बढ़ा तो दोस्तों को बुलाया, लेकिन उन्हें तकलीफ दिए बिना, स्कूटी खुद चलाकर गढ़ रोड स्थित एक निजी अस्पताल पहुंच गए।

ब्लड प्रेशर खतरनाक रूप से 200 से ऊपर निकला। ईसीजी में हार्ट की गंभीर समस्या आई। डॉक्टर ने तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी। दोस्त उन्हें दूसरे अस्पताल लेकर भागे, लेकिन किस्मत इतनी बेरहम थी कि इलाज शुरू होने से पहले ही उन्होंने अंतिम सांस ले ली।

उनकी मौत की खबर आग की तरह फैली। पांच साल की बेटी युविका और तीन साल का बेटा धनुष बेसुध हैं। पत्नी रीनू की चीखें हर दिल को चीर रही थीं। परिवार ही नहीं, पूरा मोहल्ला रो रहा था।

गगनदीप की कहानी एक चेतावनी बन गई है — कि कैसे आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में हम शरीर के संकेतों को अनदेखा कर जाते हैं।

इस हृदय विदारक घटना के बाद भाजपा नेता, सांसद अरुण गोविल, राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर, महापौर हरिकांत अहलूवालिया, कैंट विधायक समेत कई पार्षद और कार्यकर्ता उनके घर पहुंचे। दोपहर 1:30 बजे सूरजकुंड श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। हर चेहरा नम था, हर आंख बोल रही थी — “इतनी जल्दी क्यों चले गए?”

निगम में भी शोकसभा हुई। अधिकारियों और कर्मचारियों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

गगनदीप गौतम की यह असामयिक मृत्यु सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, एक उम्मीद, एक युवा ऊर्जा की चुपचाप विदाई थी।

यह मौत नहीं, एक करुण स्मरण थी —
कि जिंदगी की कोई गारंटी नहीं होती। हर धड़कन आखिरी भी हो सकती है।

जब तक जिएं, सजग रहें, स्वस्थ रहें, और अपनों को वक्त दें — क्योंकि कौन जाने अगला पल किसके पास हो, किसके पास नहीं।

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