खेरागढ़/आगरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के खेरागढ़ नगर पंचायत में विकास की गति ठप होने के बीच अधिशासी अधिकारी की ‘उत्कृष्ट कार्य’ के नाम पर पदोन्नति ने स्थानीय निवासियों और जनप्रतिनिधियों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। जब सड़कें जर्जर, पानी की किल्लत महिलाओं के कंधों पर बोझ बन चुकी है और सफाई व्यवस्था चरमरा गई है, तब ‘उत्कृष्ट’ टैग कैसे जुड़ गया? नागरिकों का यही सवाल अब प्रशासन के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।
नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी को हाल ही में राज्य सरकार द्वारा पदोन्नति प्रदान की गई, जिसका आधार ‘उत्कृष्ट प्रदर्शन’ बताया गया। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। वार्ड नंबर 5 के सभासद पवन कुमार सिकरवार ने न्यूज़ वेव को बताया, “हमारे वार्ड के धोबी पाड़ा और वाल्मीकि बस्ती में पाइपलाइन बिछाने का तो दावा किया गया, लेकिन जलापूर्ति महीनों से बंद पड़ी है। शिकायतें कीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं। महिलाएं आज भी सिर पर घड़ा रखकर आधा किलोमीटर दूर चली जाती हैं। यह कैसा ‘उत्कृष्ट कार्य’ है?”

पानी का संकट: महिलाओं की दर्दभरी कहानी
खेरागढ़ की गलियों में सुबह का सूरज उगते ही महिलाओं की लंबी कतारें पुरानी तहसील रोड पर नजर आती हैं। घंटों इंतजार, झगड़े और थकान—यह रोजमर्रा का दृश्य बन चुका है। एक स्थानीय निवासी राधा देवी ने भावुक होकर कहा, “बच्चों को स्कूल भेजना है, घर संभालना है, लेकिन पानी के लिए घंटों खड़े रहो तो सबकुछ बिगड़ जाता है। राज्य सरकार ‘मिशन शक्ति’ और ‘नारी शक्ति’ की बातें करती है, लेकिन यहां तो बुनियादी जरूरत के लिए संघर्ष ही नारी शक्ति साबित हो रहा है। क्या यह विडंबना नहीं?”
सभासद सिकरवार के अनुसार, पाइपलाइन प्रोजेक्ट के बावजूद लीकेज और रखरखाव की कमी से जलापूर्ति प्रभावित है। नगर पंचायत के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह महीनों में 150 से अधिक शिकायतें दर्ज हुईं, लेकिन समाधान के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिले।
सफाई-अतिक्रमण का बोझ: शहर की सांसें फूलीं
समस्या यहीं खत्म नहीं होती। नगर की सफाई व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। कचरा पहाड़ियां सड़कों पर फैले पड़े हैं, जिससे मच्छरों और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। जर्जर सड़कों पर गड्ढे यात्रियों के लिए खतरा बने हुए हैं, जबकि कर्मचारियों से निजी कार्य कराने की शिकायतें आम हैं।
पुरानी तहसील रोड और आसपास के मार्गों पर अतिक्रमण ने हालात और जटिल कर दिए हैं। स्थायी दुकानें और अस्थायी ठेले सड़कों को घेर लेते हैं, जिससे स्कूलों के सामने जाम लगना आम बात हो गई। अभिभावक विजय सिंह ने शिकायत की, “बच्चे स्कूल लेट पहुंचते हैं, ट्रैफिक जाम में फंस जाते हैं। नगर पंचायत की टीम कभी दिखाई ही नहीं देती। पदोन्नति का आधार क्या—ये अतिक्रमण या जाम?”
नागरिकों का आक्रोश: जांच और समाधान की मांग
स्थानीय नागरिक संगठन ‘खेरागढ़ विकास मंच’ ने पदोन्नति की निष्पक्ष जांच की मांग की है। संगठन के संयोजक रामेश्वर शर्मा ने कहा, “जब समस्याएं जस की तस हैं, तो ‘उत्कृष्ट’ का प्रमाणपत्र कैसे? हम शासन और उच्चाधिकारियों से अपील करते हैं कि जमीनी सत्यापन कराया जाए और नगर की बुनियादी समस्याओं—जलापूर्ति, सफाई, सड़कें—का तत्काल समाधान हो।”
नगर पंचायत प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन सवाल साफ हैं: क्या पदोन्नति कागजों पर ही सीमित रहेगी, या जमीनी विकास को गति मिलेगी? खेरागढ़ के निवासी अब उम्मीद की किरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।