फतेहाबाद/आगरा: फतेहाबाद के ग्राम घाघपुरा निवासी श्रीकांत सिसोदिया ने ये साबित करके दिखाया है। लेकिन हौसले की बैशाखी से उन्होंने बच्चों को पढ़ाना किया शुरू। आज उनकी पाठशाला में तमाम बच्चे शिक्षा ले रहे हैं। श्री कांत सिसोदिया देश की सेवा के लिए सेना में जाने का लक्ष्य बनाकर पसीना बहाया, चयन भी हो गया। मगर, एक हादसे से फतेहाबाद ब्लाक के गांव घांघपुरा के रहने वाले 34 वर्ष के श्रीकांत सिसोसिया की जिंदगी थम गई।

देश की सीमा पर तैनात रहने की जगह व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, व्हीलचेयर पर बैठकर गाँव में निशुल्क पाठशाला खोल दी। घर पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया गाँव के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने के साथ ही लोगों की मदद भी कर रहे हैं। श्रीकांत सिसोदिया ने आरबीएस महाविद्यालय से बीकाम की पढ़ाई के दौरान एनसीसी कैडेट बन गए। इसके साथ ही सेना को लक्ष्य बना लिया।

सीआरपीएफ में सिपाही के पद चयन का छह जून 2010 को पत्र आ गया। वे दोस्त की शादी में मुरैना, मध्य प्रदेश जा रहे थे, हादसे में उनके रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई, इलाज कराया लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। श्रीकांत ने हिम्मत दिखाई और 2013 में अपनी राह बदल दी, बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। धीरे धीरे बच्चे पढ़ने के लिए आने लगे, इन बच्चों को शिक्षा के साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराना भी शुरू कर दिया। पिछले 15 वर्ष से वे गाँव के बच्चों को पढ़ा रहे हैं, श्री कांत के हौसले को देखते हुए फतेहाबाद की कई समाजसेवी संस्था उनका सम्मान भी कर चुकी है. श्रीकांत सिसोदिया ने बताया कि मेरा एक ही लक्ष्य है कि मेरे गांव के निर्धन बच्चे निशुल्क शिक्षा पाकर अपने गांव का तथा देश का नाम रोशन करें.

  • रिपोर्ट – सुशील गुप्ता
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