आगरा: शाहगंज के केदारनगर क्षेत्र में धर्मांतरण के बड़े और विवादित मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुख्य आरोपी राजकुमार लालवानी समेत चार आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामला अत्यंत गंभीर है और समाज पर गहरा प्रभाव डालता है, इसलिए फिलहाल जमानत पर विचार नहीं किया जा सकता।

मामला क्या है

पुलिस के अनुसार, आरोपी राजकुमार लालवानी और उसके साथी आगरा और आसपास के क्षेत्रों में वंचित और गरीब परिवारों को निशाना बनाते थे। आरोप है कि उन्होंने आर्थिक सहायता, रोजगार, बच्चों की पढ़ाई और चिकित्सा सुविधाओं के झूठे वादे कर 80 से अधिक परिवारों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया।

जांच में यह भी पता चला कि इस नेटवर्क के पीछे एक संगठित गिरोह सक्रिय था। पुलिस अन्य संभावित व्यक्तियों और वित्तीय स्रोतों की भी पड़ताल कर रही है, जिसमें विदेशी फंडिंग या संगठनात्मक संबंधों की संभावना भी शामिल है।

निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक सख्त रुख

धर्मांतरण के आरोपियों के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायालय से लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट तक प्रशासन ने कड़ी पैरवी की। सरकारी वकीलों ने तर्क दिया कि यह मामला केवल व्यक्तिगत आस्था का नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश के तहत सामूहिक धर्म परिवर्तन का प्रयास था। कोर्ट ने इस तर्क से सहमति जताते हुए जमानत याचिका को अस्वीकार कर दिया।

समाज में चर्चा का विषय

यह मामला आगरा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बहस का केंद्र बन गया है। स्थानीय संगठनों और नागरिक समूहों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि ऐसे अपराधों पर सख्त कार्रवाई समाज के हित में आवश्यक है। फिलहाल चारों आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं और जांच जारी है।

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