दीपोत्सव: ज्योतिषाचार्य “राज गुरुजी महाराज” के अनुसार
प्रकाश दीपों का पर्व दीपावली भले ही एक दिन मनाया जाता हो लेकिन यह पर्व पांच दिनों का होता है। यानी धनत्रयोदशी से शुरू होकर यम द्वितीया तक। शास्त्रों में इन पांच दिनों को यम पंचक कहा गया है। इन पांच दिनों में यमराज, धनवंतरि, लक्ष्मी-गणेश, कुबेर, हनुमान, काली और भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विशेष विधान है।

इस बार भ्रम की स्थिति बनी हुई है दीपावली 20 को मनाऐ या 21 को दीपावली का पर्व 20 को ही मनाया जाएगा तीज, त्यौहार, व्रत और पर्व सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय के आधार पर मनाए जाते हैं भिन्न-भिन्न शहरों अलग-अलग  क्षेत्रों में सूर्योदय सूर्यास्त प्रथक प्रथक समय पर होता है।

ज्योतिषी, गणितज्ञ, एवं पंचांगकार अपने स्वक्षेत्र के सूर्योदय सूर्यास्त तिथि के घटी-पल के आधार पर पर्व त्योहारों का निर्धारण करते हैं जिसके फल स्वरुप अलग-अलग शहरों में 2 दिन का पर्व हो जाता है हम इस भ्रम से निकलकर आस्था, श्रद्धा, भक्ति भाव की दृष्टि से लें नवरात्रि 9 दिन का पर्व, गणेश पर्व 10 दिनों तक मनाते हैं। धन वैभव ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री देवी माँ महालक्ष्मी का महापर्व दीपावली 1 दिन की जगह 2 दिन तक मनाए, भक्ति भाव से पूजा अर्चना कर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर प्राप्त हुआ है, भक्तिमय होकर 20 तारीख को घर में सायम् एवं रात्रि काल में पूजा करें। 21 को सुबह से शाम तक उद्योग, कारखाना, फैक्ट्री, दुकान, शॉप पर पूजा कर माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन को सार्थक सफल और आनंद पूर्ण सुखमय बनाएं ।

18 अक्टूबर को धनतेरस, 19 को नरक चतुर्दशी; हनुमान जन्मोत्सव, मास शिवरात्रि छोटी दिवाली, 20 को दिवाली, 21 को स्नान दान की अमावस्या, 22 को गोवर्धन पूजा और 23 को भाईदूज है।

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस तिथि को समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इस वजह से इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से ही जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि के अलावा इस दिन माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है।

इस दिन दीपावली का पर्व शुरू हो जाता है और इस दिन सोना-चांदी पीतल तांबा के नए बर्तन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। दीप दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन घर को पूरी तरह से सजाया जाता है, रात्रि को माता लक्ष्मी,कुबेर देव,भगवान धन्वंतरी और यमदेव का पूजन का महत्व है,
आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि स्वयं नारायण के अनुसार अवतार हैं उनका पूजन कर उत्तम स्वास्थ्य दीर्घायु निरोगी जीवन की कामना करते हैं ।
इस दिन झाड़ू, नमक और हल्दी गोमती चक्र कोङियाँ खरीद कर उसका भी पूजन किया जाता है,
कुबेर धन के स्वामी माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कुबेर की पूजा करने से कुबेर भगवान उसका खजाना कभी भी खाली नहीं होने देते है। पौराणिक दृष्टिकोण से वे उत्तर दिशा के स्वामी हैं, दिक्पाल भी हैं।
वे बहु-चर्चित नौ निधियों के स्वामी भी हैं—पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नील एवं वर्चस।

उनके पिता विश्रवा ऋषि थे और माता इड़विड़ा, जो यक्ष-कुल की थीं। विश्रवा, महर्षि पुलस्त्य के पुत्र थे, जो ब्रह्मा के मानस-पुत्र माने जाते हैं।
कुबेर का विवाह सूर्य एवं छाया की पुत्री भद्रा से हुआ था। नल एवं मणिग्रीव उनके दो पुत्र थे।

धनतेरस : 18 अक्तूबर

त्रयोदशी तिथि आरंभ : 18 अक्तूबर दिन में 12:19 बजे
त्रयोदशी तिथि समापन : 19 अक्तूबर दिन में 01:51 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दिन में 12: 01 बजे से 12: 48 बजे तक
चौघड़िया मुहूर्त: दिन में 1:51 बजे से दिन में 3: 18 बजे तक
प्रदोष काल: शाम 6:11 बजे से रात 8: 41 बजे तक

नरक चतुर्दशी, हनुमान जन्मोत्सव, छोटी दिवाली नरक चतुर्दशी इस साल 19 अक्टूबर 2025 को है

नरक चतुर्दशी को रूप चौदस और हनुमान जयंती के रूप में भी प्रतिष्ठा है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार इस दिन शाम को चार बत्तियों वाला चौमुखा दीपक घर के बाहर जलाना चाहिए। यमराज के निमित्त तर्पण जरूर करें। शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए। सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के मध्य हनुमान दर्शन की महत्ता है। हनुमानजी को माता सीता ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को अमृत्व का वरदान दिया था ।
हिंदू धर्म में दिवाली का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली मनाई जाती है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी या रूप चौदस के नाम से जानते हैं। दिवाली का त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। जिसे बड़ी दिवाली या दीपावली के नाम से जाना जाता है। दिवाली के दिन प्रदोष काल में भगवान गणेश और मांलक्ष्मी के पूजन का विधान है। मान्यता है कि दिवाली पर गणेश-लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। छोटी दिवाली के दिन लोग यम के लिए दीपदान कर मृत्यु के देवता यम से अकाल मृत्यु की रक्षा की कामना करते हैं। इस दिन हनुमान जी की पूजा भी अत्यंत शुभ व फलदायी मानी जाती है।

छोटी दिवाली पूजा मुहूर्त:

अमावस्या तिथि में प्रदोष काल, निशीथ काल व महा निशीथ काल विद्यमान होता है, वह तिथि ही दिवाली पूजन के लिए उपयुक्त मानी गई है। इस बार 20 अक्टूबर को यह शुभ संयोग मिल रहा है। दिवाली पूजन के लिए प्रदोष काल अत्यंत शुभ माना गया है। अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे से अगले दिन 21 अक्टूबर 2025 शाम को 05:54 बजे तक रहेगी।

दिवाली गणेश-लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 2025:

दिवाली के दिन गणेश-लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। पूजन की कुल अवधि 01 घंटा 11 मिनट है।

प्रदोष काल – शाम  05:46  से 08:18 शाम तक
स्थिर लग्न वृषभ काल – शाम  07:08 से 09:03 रात्रि तक

दीपावली:

दीपावली का महापर्व प्रदोष काल, स्थिर लग्न, निशीथ काल में मनाने का बहुत ही ज्यादा महत्व है में रात में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में है। तीसरी महानिशा कालरात्रि का पर्व दीपावली के नाम से प्रतिष्ठित है। दीपावली के दिन सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच का काल विशेष रूप से प्रभावी है। कालरात्रि वह निशा है जिसमें तंत्र साधकों के लिए सर्वाधिक अवसर होते हैं। कालरात्रि में औघड़ पंथ के साधक जनकल्याण के लिए विशिष्ट सिद्धियां अर्जित करने के लिए महाशमशान पर अनुष्ठान करते हैं।

*अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजा : 22 अक्तूबर*
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा प्रारंभ : 21 अक्तूबर शाम 4:26 बजे
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा समापन :22 अक्तूबर शाम 6:18 बजे,

गोवर्धन पूजा का मुहूर्त

22 अक्तूबर: सुबह 6:43 बजे से 8:52 बजे तक

कुल अवधि : 2 घंटे 9 मिनट

भाई दूज : 23 अक्तूबर

कार्तिक मास द्वितीया तिथि प्रारंभ: 22 अक्तूबर रात 6:18 बजे
कार्तिक मास की द्वितीया तिथि समापन : 23 अक्तूबर रात 8:23 बजे
टीका का मुहूर्त : 23 अक्तूबर सुबह 6:22 बजे से रात 8:23 बजे तक ।

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*ज्योतिषाचार्य “राज गुरुजी महाराज” महर्षि आश्रम विंध्याचल धाम मो – 9417335633*

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