रिपोर्ट • मु. इसरार खान – मुरैना 

मुरैना/मप्र।  मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप से अब तक 16 से अधिक बच्चों की दर्दनाक मौत हो चुकी है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है। यह मामला ‘कोल्ड्रिफ’ (Coldrif) नामक कफ सिरप से जुड़ा है, जिसमें जांच में 46.2% से 48.6% तक डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक घातक रसायन पाया गया। यह रसायन ब्रेक फ्लूइड और पेंट जैसे औद्योगिक उपयोग के लिए होता है, जो किडनी फेलियर का कारण बनता है। केंद्र सरकार की एडवाइजरी के बाद गुजरात, पंजाब, झारखंड समेत कई राज्यों ने तत्काल कार्रवाई की है, जिसमें दो फार्मा कंपनियों—श्रीसन फार्मास्युटिकल्स (तमिलनाडु) और एक अन्य—की दवाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।

घटना का पूरा विवरण: कैसे शुरू हुआ कांड?

यह सिलसिला अगस्त के अंत से शुरू हुआ, जब छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में सर्दी-खांसी के लक्षण दिखे। स्थानीय डॉक्टर प्रवीण सोनी ने इन्हें कोल्ड्रिफ सिरप दिया, लेकिन जल्द ही बच्चों में तेज बुखार, पेशाब बंद होना और किडनी फेलियर जैसे गंभीर लक्षण नजर आए। 7 सितंबर को पहली मौत दर्ज हुई, और उसके बाद का आंकड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा।

मौतों का ब्रेकडाउन: छिंदवाड़ा में 14 बच्चे, बैतूल में 2, और राजस्थान के सीकर में 3 मौतें। कुल 19 से अधिक मामले।

प्रभावित बच्चे: अधिकांश 2-5 साल के थे। 8 बच्चे अभी नागपुर (महाराष्ट्र) के अस्पतालों में डायलिसिस पर हैं।

जांच का खुलासा: तमिलनाडु लैब की रिपोर्ट में सिरप के बैच SR-13 में 48.6% DEG मिला, जो WHO मानकों से 486 गुना अधिक है। मध्य प्रदेश FDA ने भी 46.28% DEG की पुष्टि की।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे “अत्यंत दुखद” बताते हुए मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपये मुआवजा घोषित किया। उन्होंने कहा, “यह सिरप अब मध्य प्रदेश में पूरी तरह प्रतिबंधित है, और कंपनी के सभी उत्पादों पर रोक लगाई गई है।”

डॉक्टर की गिरफ्तारी और प्रशासनिक कार्रवाई

डॉ. प्रवीण सोनी गिरफ्तार: बच्चों को जहरीला सिरप देने वाले डॉक्टर को रविवार को गिरफ्तार किया गया। उन पर लापरवाही से मौत का आरोप है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने गिरफ्तारी की निंदा की, लेकिन कंपनी और नियामकों पर सख्ती की मांग की।

SIT गठन: मध्य प्रदेश पुलिस ने विशेष जांच दल बनाया। कंपनी के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27(A) और BNS की धारा 105 के तहत FIR दर्ज।

अधिकारियों पर एक्शन: 4 स्वास्थ्य अधिकारियों को निलंबित किया गया। राजस्थान में ड्रग कंट्रोलर निलंबित।

राज्यों की सख्ती: बैन और जांच

केंद्र के औषधि नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने हिमाचल, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में 6 फार्मा यूनिट्स का निरीक्षण शुरू किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह दी: “2 साल से कम बच्चों को कफ सिरप न दें।”

कांग्रेस और AAP ने भोपाल व जयपुर में विरोध प्रदर्शन किए, स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला का इस्तीफा मांगा। पूर्व सीएम कमलनाथ ने “ब्रेक ऑयल सॉल्वेंट” मिलाने का आरोप लगाया।

विशेषज्ञों की राय: क्यों हो रहा है ऐसा?

डॉक्टरों का कहना है कि DEG सस्ता विकल्प है, लेकिन घातक। अमेरिका में 1937 से बैन, लेकिन भारत में नियमन ढीला। WHO ने 2022 में भी कफ सिरप कांड पर चेतावनी दी थी। विशेषज्ञ सलाह: हमेशा प्रमाणित दवाएं लें, और बच्चों को घरेलू उपाय (भाप, शहद) दें।

यह कांड भारत की फार्मा इंडस्ट्री पर सवाल खड़े करता है। सरकार ने संशोधित शेड्यूल M मानदंड लागू करने का वादा किया है। परिवारों का दर्द कम करने के लिए तत्काल न्याय जरूरी। 

 

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