नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित टेक्नोलॉजी, ChatGPT को लेकर एक नया और गंभीर मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने दावा किया है कि ChatGPT की मदद से नकली आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाए जा रहे हैं। यह खुलासा देश की साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी के लिहाज़ से बेहद चिंताजनक माना जा रहा है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर यशवंत साई पलाघाट ने दावा किया कि ChatGPT के ज़रिए बेहद सटीक और रियलिस्टिक फेक डॉक्यूमेंट बनाए जा सकते हैं। उन्होंने लिखा—
“ChatGPT तुरंत नकली आधार और PAN कार्ड जेनरेट कर रहा है, जो एक गंभीर सिक्योरिटी रिस्क है। यही कारण है कि AI को कुछ हद तक रेगुलेट करना चाहिए।”

फॉर्मेट की सटीक जानकारी कहां से?

एक अन्य यूजर पिकू ने लिखा,
“मैंने AI से सिर्फ नाम, जन्मतिथि और पता देकर एक आधार कार्ड जेनरेट करने को कहा… और इसने लगभग परफेक्ट रेप्लिका बना दिया। अब कोई भी नकली दस्तावेज बना सकता है। हम डेटा प्राइवेसी की बात करते रहते हैं, लेकिन सवाल है— AI कंपनियों को ये फॉर्मेट और डेटा कहां से मिल रहा है?”

क्यों है यह एक गंभीर खतरा?

AI मॉडल जैसे GPT-4 की क्षमताएं इतनी विकसित हो चुकी हैं कि ये सरकारी डॉक्यूमेंट्स के स्वरूप और डिज़ाइन को हूबहू दोहरा सकते हैं। यह ना केवल सरकारी पहचान पत्रों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि इसका दुरुपयोग बैंकिंग फ्रॉड, सिम कार्ड फ्रॉड, और फर्जीवाड़े के मामलों में किया जा सकता है।

क्या कहती हैं टेक एक्सपर्ट्स?

साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब समय आ गया है जब AI टूल्स पर कड़े रेगुलेशन लगाए जाएं।

“जाली दस्तावेज बनाना जितना आसान होगा, उतना ही मुश्किल होगा असली-नकली में फर्क करना। AI टूल्स को कंट्रोल और मॉनिटर करने के लिए अब वैश्विक स्तर पर एक मजबूत नीति बनानी होगी।”

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