बिहार का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य (नवंबर 2025) –

बिहार।  बिहार विधानसभा चुनाव के रिजल्ट्स आ रहे हैं। कुल 243 सीटों में बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए। एनडीए (बीजेपी + जेडीयू + अन्य सहयोगी) 200+ सीटों पर आगे है, जो स्पष्ट बहुमत दर्शाता है। लेकिन मुख्य मुद्दा यह है कि बीजेपी पहली बार सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लगभग 90-91 सीटों पर लीड कर रही है, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू को 40-50 सीटें मिलने का अनुमान है। विपक्षी महागठबंधन (आरजेडी + कांग्रेस + अन्य) 40 सीटों के आसपास सिमट गया है।

क्या  नीतीश कुमार के बिना बीजेपी का मुख्यमंत्री बन सकता है?

हां, संभव है, लेकिन यह आसान नहीं होगा। बिहार में बीजेपी ने कभी अकेले सरकार नहीं बनाई, हमेशा गठबंधन पर निर्भर रही। नीतीश कुमार एनडीए के चेहरे थे, और चुनाव इन्हीं के नाम पर लड़ा गया। फिर भी, बीजेपी की बढ़ती ताकत (सबसे ज्यादा सीटें) के कारण वे सीएम पद पर दबाव बना सकती हैं। बीजेपी हाईकमान ने अभी नीतीश को ही सपोर्ट करने का ऐलान किया है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी स्तर पर नया चेहरा (जैसे सम्राट चौधरी या अन्य) लाने की चर्चा है।

कैसे बन सकता है? (संभावित परिदृश्य)

नीतीश के बिना सरकार बनाने के लिए बीजेपी को जेडीयू के विधायकों या पूरे दल को अलग-थलग करना होगा। यहां कुछ व्यावहारिक तरीके हैं, जो राजनीतिक इतिहास और वर्तमान रुझानों पर आधारित हैं:

बीजेपी की संख्या बल का फायदा उठाना:

बीजेपी को 91 सीटें मिल रही हैं, जो एनडीए में सबसे ज्यादा हैं। गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी का सीएम बनना सामान्य है (जैसे महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे मॉडल)। अगर जेडीयू के 10-15 विधायक बीजेपी के साथ आ जाएं (क्रॉस-वोटिंग या बगावत), तो बीजेपी अकेले या छोटे सहयोगियों (जैसे एलजेपी-रामविलास या एचएएम) के साथ 122+ पहुंच सकती है।

नीतीश को केंद्र भेजना या रिटायर कराना:

नीतीश (74 वर्ष) को केंद्र में कैबिनेट मंत्री या राज्यसभा भेजकर “सम्मानजनक विदाई” दी जा सकती है। बीजेपी कैडर पहले से ही कह रहा है कि “बिहार को नई लीडरशिप चाहिए”। अगर नीतीश रिटायर हो जाते हैं, तो जेडीयू का नेतृत्व (जैसे आरसीपी सिंह या अन्य) बीजेपी के साथ मिल सकता है, और सीएम पद बीजेपी को मिल सकता है।

छोटे दलों का समर्थन जुटाना:

एनडीए के अन्य घटक: एलजेपी (रामविलास) को 5-7 सीटें, एचएएम को 2-3। इनके साथ मिलाकर (बिना जेडीयू के) 110+ सीटें हो सकती हैं। फिर, निर्दलीय या विपक्ष से 10-12 विधायकों को लाकर बहुमत साबित किया जा सकता है। इतिहास में बिहार में ऐसे फ्लोर टेस्ट हुए हैं (2005 में एनडीए सरकार)।

राजनीतिक दबाव और नेगोशिएशन:

अगर नीतीश जिद करें, तो बीजेपी गठबंधन तोड़ने की धमकी दे सकती है। लेकिन वर्तमान में जेडीयू ने ट्वीट डिलीट कर “नीतीश ही सीएम” का दावा किया, जो तनाव दिखाता है। अंतिम फैसला दिल्ली हाईकमान (मोदी-शाह) लेगा, जो नीतीश को “टाइगर जिंदा है” कहकर मजबूत दिखा रहे हैं।

संक्षेप में, बीजेपी मजबूत स्थिति में है, लेकिन नीतीश के बिना सरकार बनाना जोखिम भरा होगा। अगले 24-48 घंटों में स्पष्टता आएगी, जब विधायक दल की बैठकें होंगी।

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