🗞️ समाचार सार:
ग्वालियर रोड पर नगला माकरोल, इटोरा, रोहता बाग, सराय मलूक चंद आदि क्षेत्रों में जर्जर सड़कों, जलभराव और हाईवे पर नाला निर्माण की मांग को लेकर किसान नेता श्याम सिंह चाहर, दिलीप सिंह और ‘सिस्टम तो सुधरेगा’ अभियान के संयोजक नीरज शर्मा के नेतृत्व में 28 जून से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी गई है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक स्थायी समाधान नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा। एनएचएआई व पीडब्ल्यूडी की आपसी लापरवाही से जनता परेशान है और अब समाधान की मांग के साथ सड़कों पर उतर आई है।
🚨 ग्वालियर रोड पर नगला माकरोल बना विरोध का केंद्र, ‘सिस्टम तो सुधरेगा’ के नारे के साथ शुरू हुआ बड़ा जनआंदोलन
रिपोर्ट 🔹मुहम्मद इस्माइल
आगरा। ताजनगरी में ग्वालियर नेशनल हाईवे पर जलजमाव, टूटी सड़कें और नाले की मांग को लेकर अब आमजन का सब्र जवाब दे गया है। नगला माकरोल में आज से किसान नेता श्याम सिंह चाहर और चौधरी दिलीप सिंह के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का बिगुल बज चुका है। इस विरोध प्रदर्शन को ‘सिस्टम तो सुधरेगा’ अभियान के संयोजक नीरज शर्मा का भी साथ मिला है।
स्थानीय जनता का फूटा गुस्सा – शासन-प्रशासन को दी चेतावनी!
हाइवे के दोनों ओर बसे गांव – नगला मांकरोल, इटोरा, नगला पदमा, रोहता बाग और सराय मलूक चंद – वर्षों से जलभराव और बदहाल सड़कों की पीड़ा झेल रहे हैं। एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी की लापरवाही से लोगों की जिंदगी नरक बन चुकी है।
नीरज शर्मा ने प्रशासन को घेरते हुए कहा,
📍“रोड की ऊँचाई बढ़ाकर जलभराव की समस्या और गहरी कर दी गई है। जब तक स्थायी समाधान नहीं होगा, धरना स्थल नहीं छोड़ा जाएगा।”
📌 प्रशासनिक बेरुखी से टूटा सब्र
किसान मजदूर नेता दिलीप सिंह ने दो टूक कहा —
📍 “एनएचएआई और लोक निर्माण विभाग की आपसी खींचतान में जनता पिस रही है। जर्जर हाईवे, जलजमाव और लंबे जाम ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।”
धरने में बड़ी संख्या में क्षेत्रीय ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए। श्याम सिंह चाहर, नीरज शर्मा, दिलीप सिंह, सूरज, जयवीर, सुनील फौजदार, विनोद, महेश, हरिओम, राजेश नेताजी, देवेंद्र सिंह समेत दर्जनों नामी चेहरे आंदोलन का चेहरा बने हुए हैं।
जनता की आवाज़ बुलंद – अब फैसला प्रशासन को करना है!
जब एक तरफ आम जनता बुनियादी सुविधाओं के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर हो, और दूसरी ओर अधिकारी कुंभकर्णी नींद में हों — तो ऐसे आंदोलन ही क्रांति की शुरुआत बनते हैं।
📍 अब देखना होगा कि प्रशासन जनता की आवाज़ सुनता है या फिर यह भूख हड़ताल किसी बड़ी लपट का कारण बनेगी।
—