आगरा: ज्जिले में यूपी एसटीएफ और औषधि विभाग ने 22 अगस्त को गोगिया मार्केट में छापेमारी कर हे मां मेडिको, बंसल मेडिकल एजेंसी, राधे मेडिकल एजेंसी, एमएसवी मेडी पॉइंट और ताज मेडिकल एजेंसी से 71 करोड़ रुपये की नकली दवाएं जब्त कीं। ये फर्में पुडुचेरी की मीनाक्षी फार्मा से नकली दवाएं खरीद रही थीं, जिन्हें लखनऊ और मुजफ्फरनगर की डमी फर्मों के जरिए बेचा गया।
मुख्य बिंदु
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नकली दवाओं का जाल: दवा माफिया ने 12 राज्यों में 36% छूट और मोटा कमीशन देकर नकली दवाओं की सप्लाई की।
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छापेमारी: 22 अगस्त 2025 को आगरा में 6 फर्मों से 71 करोड़ रुपये की नकली दवाएं सीज।
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डमी फर्में: न्यू बाबा फार्मा, पार्वत ट्रेडर्स, आयुष मेडिकोज और आशुतोष फार्मा डमी फर्मों के रूप में सामने आईं।
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गिरफ्तारियां: बंसल परिवार (संजय, मुकेश, सोहित बंसल) और तरुण गिरधर गिरफ्तार, विक्की कुमार और सुभाष कुमार फरार।
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स्वास्थ्य जोखिम: नकली दवाएं शुगर और हार्ट के मरीजों के लिए खतरा, जांच में और फर्में संदिग्ध।
डमी फर्मों का खेल
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न्यू बाबा फार्मा और पार्वत ट्रेडर्स (लखनऊ): संचालक विक्की कुमार और सुभाष कुमार फरार। ये फर्में डमी थीं, जिनके जरिए बिलिंग होती थी।
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आयुष मेडिकोज (मुजफ्फरनगर): तरुण गिरधर संचालक, घर से ऑपरेट होती थी। 3.50 करोड़ की दवाएं खरीदीं।
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आशुतोष फार्मा: तरुण और राहुल की डमी फर्म, कोई वैध कार्यालय नहीं।
बंसल परिवार की भूमिका
बंसल मेडिकल एजेंसी के संजय, मुकेश, सोहित बंसल ने नामी कंपनियों की नकली दवाओं को 36% छूट पर बेचा। इससे विक्रेता आधिकारिक डीलरों के बजाय इनसे खरीदारी करते थे। रैकेट का टर्नओवर 10 करोड़ रुपये सालाना था।
माफिया का मॉडल
माफिया ने हॉकरों को मोटा कमीशन और दवाओं में भारी छूट दी। इससे नकली दवाएं सस्ते दामों पर बिकती थीं, जिसने मरीजों की जान को खतरे में डाला।
चल रही जांच
औषधि विभाग और एसटीएफ अन्य संदिग्ध फर्मों की जांच कर रहे हैं। 12 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, और मास्टरमाइंड की तलाश जारी है।
सामाजिक प्रभाव
यह रैकेट मरीजों के लिए खतरा है, खासकर शुगर और हार्ट के मरीजों के लिए। सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने दवा कंपनियों पर राजनीतिक संरक्षण का आरोप लगाया।