आगरा। वाराणसी में उजागर हुए नशीला सिरप कांड के बाद वह परतें उधड़नी शुरू हो गईं हैं, जिन्हें वर्षों से नजरअंदाज किया गया था। लेकिन जांच की असली दिशा अब अबॉट कंपनी, उसके गाजियाबाद, सहारनपुर, लखनऊ स्टॉकिस्ट नेटवर्क और आगरा के सिरप सिंडिकेट की ओर बढ़ चुकी है।
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो 2017 से 2022 का रिकॉर्ड खंगाला जाए, तो तस्वीर साफ हो जाएगी। देशभर में बेची गई करोड़ों बोतलों में सबसे बड़ा हिस्सा गैरकानूनी चैनलों से होकर आगरा के माफिया नेटवर्क तक पहुंचा था।
अबॉट स्टॉकिस्ट- वे गुप्त दरवाज़े जहां से निकलती थीं करोड़ों बोतलें
सूत्र बताते हैं कि गाजियाबाद, सहारनपुर और लखनऊ के अबॉट स्टॉकिस्टों ने 2017–2022 के बीच सामान्य मेडिकल मांग से 10 गुना ज्यादा कोडीन आधारित सिरप, विशेषकर फैंसीडिल और अन्य कफ सिरप की बिक्री दर्ज की। यह बिक्री किसी भी सामान्य मार्केट की रूटीन डिमांड से कई गुना अधिक थी, जो साफ संकेत है कि यह दवाएं लाइसेंसशुदा बाजार नहीं, बल्कि नारकोटिक रूट्स पर बहायी गईं।
आगरा देश का सबसे बड़ा ‘साइलेंट सिरप हब’
जांच में सामने आया कि इन करोड़ों बोतलों का सबसे बड़ा हिस्सा आगरा के सिरप माफियाओं द्वारा खरीदा गया। 2017–2022 को आगरा का गोल्डन पिरिएड ऑफ कोडीन बिजनस कहा जा रहा है।
इस दौरान क्या होता था?
रात के अंधेरे में ट्रकों में लोड उतरता था। मेडिकल कारोबार की आड़ में गैरकानूनी सप्लाई होती थी। माल को बाहरी राज्यों को संगठित चैनल से भेजा जाता था। बिना किसी रोक-टोक के एक अंडरग्राउंड ड्रग नेटवर्क फल-फूल रहा था। आगरा इस दौरान देश का सबसे बड़ा नशीला सिरप ट्रांजिट पॉइंट बन चुका था।
टर्निंग पॉइंट- चिंटू उर्फ़ देवेंद्र आहूजा की गिरफ्तारी
खेल तब बदला जब लगभग दो वर्ष पहले मालदा पुलिस ने देवेंद्र आहूजा उर्फ़ चिंटू को गिरफ्तार किया। यह पहली गिरफ्तारी थी जिसने ड्रग नेटवर्क की कड़ियां बंगाल, असम, बिहार से लेकर नेपाल सीमा तक खोल दीं। चिंटू की गिरफ्तारी ने उन सफेदपोश व्यापारियों का चेहरा उजागर किया जो खुद को लाइसेंसी डीलर्स बताते थे, पर असल में नारकोटिक माफिया थे। गिरफ्तारी के बाद आगरा का पूरा अवैध कारोबार या तो ठप हो गया या भूमिगत।
त्रिपुरा में पकड़ी गई बड़ी खेप, चिंटू का नाम फिर उछला
7 जुलाई 2025 को त्रिपुरा में भारी मात्रा में कोडीन सिरप की खेप पकड़ी गई। जांच में देवेंद्र उर्फ़ चिंटू आहूजा का नाम फिर सामने आया। इसके बाद त्रिपुरा क्राइम ब्रांच ने उसे 5 दिसंबर 2025 को अगरतल्ला मुख्यालय तलब किया। चिंटू की यह तलब पूरे नेटवर्क के पुनर्सक्रिय होने की ओर इशारा कर रही है। जांच के दौरान चिंटू की एक तस्वीर पूर्वांचल के एक प्रमुख सपा सांसद के साथ सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही है। एजेंसियां इस संबंध को भी गंभीरता से खंगाल रही हैं, क्योंकि यह नेटवर्क कई राजनीतिक,व्यावसायिक परतों में छिपा है।
सबसे बड़ा सवाल-2017–2022 का डेटा रेड फ्लैग क्यों नहीं हुआ?
यदि अबॉट के स्टॉकिस्टों के बिलिंग, डिस्पैच, रिटर्न्स, रजिस्ट्रेशन लॉग्स का मिलान कर लिया जाए, तो एक विशाल अवैध नेटवर्क सामने आएगा। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस जांच की आंच सिर्फ व्यापारियों पर नहीं, बल्कि कई अधिकारियों पर भी पहुंच सकती है। वाराणसी का कांड केवल शुरुआत है। असल कहानी आगरा, गाजियाबाद, सहारनपुर, लखनऊ के इस सिरप कनेक्शन की है। इसके केंद्र में है देवेंद्र उर्फ़ चिंटू आहूजा और कई सफेदपोश ड्रग माफियाओं का गठजोड़।

