आगरा। थाना सिकंदरा क्षेत्र में एक महिला शिक्षिका की गंभीर शिकायत और पुलिस की कार्रवाई के बीच भारी विरोधाभास ने कानून-व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जिस मामले में देह व्यापार और नशीले पदार्थों की बिक्री का आरोप था, उसमें पुलिस ने चार महिलाओं और दो युवकों को पकड़ने के बावजूद मामला केवल धारा 151—शांति भंग में निपटा दिया।

अब छापेमारी का सीसीटीवी फुटेज और तस्वीरें वायरल होने के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली कटघरे में है। फुटेज साफ दर्शाता है कि पुलिस ने “बड़े ऑपरेशन” की तरह कार्रवाई की थी, जबकि कागजों में इसे पति–पत्नी का विवाद बताकर कमजोर कर दिया गया।

शिक्षिका की शिकायत पर कार्रवाई 

आवास विकास कॉलोनी, सेक्टर–11 निवासी महिला शिक्षिका पिछले चार महीनों से मायके में रह रही थीं। उनका आरोप है कि पति की संदिग्ध गतिविधियों के चलते विवाद चल रहा है । उनकी गैर मौजूदगी में घर पर अजनबियों का आना–जाना बढ़ गया था। घर में देह व्यापार, नशीले पदार्थों की बिक्री और संदिग्ध पार्टियां हो रही थीं। 26 अक्टूबर को उन्होंने 112, 1090 और 1076 पर कॉल कर तत्काल कार्रवाई की मांग की।

छापेमारी में चार महिलाएं और दो युवक पकड़े गए

पुलिस टीम मौके पर पहुंची तो घर के अंदर से चार महिलाएं, दो युवक बरामद हुए, जिन्हें भीड़ की मौजूदगी में थाने ले जाया गया। मौके की स्थिति देखकर ऐसा लगा कि मामला बेहद गंभीर है, जैसा कि खुद वायरल फुटेज में दिखाई दे रहा है।

बड़ा मामला, कागजों में छोटा विवाद बन गया

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि आरोपी पति, तीन युवक, एक युवती और मौके पर वीडियो बना रहे एक यूट्यूबर सहित सभी का धारा 151 में बीच सड़क हंगामा में चालान कर दिया गया। ना देह व्यापार की धारा, ना ही एनडीपीस की कार्रवाई और
ना ही किसी नेटवर्क की जांच की गई।  यानी पूरे मामले को हल्का कर दिया गया।

मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत

महिला ने हार न मानते हुए शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की। लेकिन वहां भी रिपोर्ट गलत दे दी गई। उन्होंने शिकायत देह व्यापार का अड्डा चलाने की करी थी पर पुलिस ने जवाब में पति–पत्नी का विवाद बता दिया और कार्रवाई के नाम पर शांति भंग में चालान दिखा दिया। पीड़िता का आरोप है कि थाने से जानबूझकर गलत रिपोर्ट भेजी गई, ताकि गंभीर अपराध दब जाए।

वायरल फुटेज ने खोले कई राज़

गुरुवार को वायरल हुए सीसीटीवी फुटेज और तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि पुलिस ने घर से युवक–युवतियों को निकाला और  वाहनों में बिठाकर ले जा रही है। मौके पर भारी भीड़ लगी हुई थी। पूरा माहौल “बड़े ऑपरेशन” जैसा लग रहा था, लेकिन रिपोर्ट कहती है—“थोड़ा सा झगड़ा।” यह विरोधाभास अब बड़ी बहस का विषय बन गया है।

स्थानीय लोग बोले

इलाके में चर्चाएं हैं कि यह मामला उस कहावत का असली उदाहरण है कि पुलिस चाहे तो रस्सी को सांप बना दे और सांप को रस्सी। यहां “सांप” जैसा गंभीर मामला कागजों में “रस्सी” जैसा हल्का बना दिया गया है।

बड़े सवाल, जो पुलिस पर सीधा आरोप बनकर खड़े हैं

  • शिकायत में देह व्यापार और नशे की बात थी, तो धारा 151 क्यों?
  • चार महिलाएं और दो युवक घर में क्यों मौजूद थे?
  • सीसीटीवी में दिख रही छापेमारी “बड़े केस” जैसी, पर रिपोर्ट “पत्नी–पति विवाद” जैसी क्यों?मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी गलत रिपोर्ट क्यों भेजी गई?
  • क्या गंभीर अपराध को जानबूझकर हल्का दिखाया गया?

इन सवालों के जवाब अब तक नहीं मिले। वायरल वीडियो ने मामले को फिर सुर्खियों में ला दिया है और पुलिस की कार्रवाई पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया है।

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