आगरा: आगरा की सीजेएम कोर्ट ने अवैध रूप से भारत में रह रहे 18 बांग्लादेशी घुसपैठियों को दोषी ठहराते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है। मामले में 10 अन्य आरोपियों का केस अभी विचाराधीन है। यह कार्रवाई आगरा के आवास विकास कॉलोनी सेक्टर 14 में 5 फरवरी 2023 को हुई पुलिस की एक बड़ी रेड के बाद हुई, जिसमें 28 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस को खुफिया एजेंसियों से जी-20 सम्मेलन से पहले मिली सूचना के आधार पर यह छापेमारी की गई। इस दौरान पता चला कि इन घुसपैठियों ने कॉलोनी के खाली मैदान में 80 से अधिक झुग्गी-झोपड़ियां बनाकर एक पूरी बस्ती बसा रखी थी। ये लोग कूड़ा बीनने और बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण का काम करते थे। छापेमारी में 15 महिलाओं और 13 पुरुषों सहित 28 लोगों को हिरासत में लिया गया। इनके पास से 35 फर्जी आधार कार्ड और एक पैन कार्ड भी बरामद हुआ।

थाना सिकंदरा पुलिस ने उप निरीक्षक गौरव कटियार की तहरीर पर इनके खिलाफ धोखाधड़ी और विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया। 31 मार्च 2023 को पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। जांच में सामने आया कि सभी दस्तावेज फर्जी और कूटरचित थे। अभियोजन पक्ष ने पुख्ता साक्ष्य पेश किए, जिसके आधार पर कोर्ट ने हसन, जूली, सूमी, फातिमा बेगम, विश्ती, जुएल शेख, फारुख, रविउल शेख, बबलू खान, साबिर, ब्यूटी, रौशोनारा, विलाल, हालिम, इस्लाम खान, मोविना, मनीरुल शेख और जोशिना खातून को तीन साल की सजा सुनाई।

अवैध घुसपैठ पर सख्ती: यह मामला देश में अवैध घुसपैठ और फर्जी दस्तावेजों के दुरुपयोग की गंभीर समस्या को उजागर करता है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों की तत्परता से इस संगठित गिरोह का पर्दाफाश हुआ। बाकी 10 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई जारी है, और जल्द ही उनके मामले में भी फैसला आने की उम्मीद है।

आगे क्या?: इस कार्रवाई से स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को और सतर्क रहने का संदेश मिला है। आगरा पुलिस अब ऐसे अन्य संदिग्ध ठिकानों पर नजर रख रही है ताकि अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।

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