आगरा: स्पेशल जज (एमपी-एमएलए) लोकेश कुमार की अदालत में बॉलीवुड अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत के खिलाफ दायर रिवीजन वाद की शुक्रवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। यह मामला कंगना द्वारा किसानों के प्रति कथित अपमानजनक बयानों और राष्ट्रद्रोह से जुड़ा है, जो 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान दिए गए थे।
दोनों पक्षों की दलीलें
- वादी पक्ष (शिकायतकर्ता): वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने पैरवी की। उनके साथ राजवीर सिंह, सुखवीर सिंह चौहान, दुर्ग विजय सिंह भैया, बीएस फौजदार, उमेश जोशी और अवधेश सोलंकी मौजूद रहे। उन्होंने अदालत में बठिंडा (पंजाब) कोर्ट से संबंधित सभी आदेशों की प्रमाणित प्रतियां फेहरिस्त सहित दाखिल कीं। वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि विपक्ष जानबूझकर मामले को लंबित करने की कोशिश कर रहा है। दोनों पक्षों की लिखित बहस दाखिल हो चुकी है और दो बार मौखिक बहस भी हो चुकी है, इसलिए अब तुरंत निर्णय की तिथि तय की जाए।
- विपक्षी पक्ष (कंगना रनौत): एडीजीसी मोहित पाल, सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता अनुसुइया चौधरी की जूनियर सुधा प्रधान और स्थानीय अधिवक्ता विवेक शर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि अनुसुइया चौधरी की तबीयत खराब होने से वे उपस्थित नहीं हो सकीं, इसलिए एक और अवसर देने का निवेदन किया।
अदालत का आदेश
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने 12 नवंबर 2025 को निर्णय की तिथि निर्धारित की। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि इस बीच कोई पक्ष अतिरिक्त साक्ष्य या बहस प्रस्तुत करना चाहे, तो वह स्वतंत्र रहेगा।
मामले की पृष्ठभूमि
यह रिवीजन वाद किसान आंदोलन के दौरान कंगना रनौत के सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों पर आधारित है, जिसमें उन्हें किसानों का अपमान और राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया गया। मामला पहले निचली अदालत से शुरू होकर अब स्पेशल कोर्ट में पहुंचा है। पंजाब की अदालतों में भी इससे जुड़े मामले चल रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
- किसान संगठन: संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे “किसानों की आवाज की जीत” बताया।
- भाजपा: पार्टी ने इसे “राजनीतिक साजिश” करार दिया।
यह मामला अब अंतिम चरण में है और 12 नवंबर को आने वाला फैसला राजनीतिक व कानूनी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। कंगना की कानूनी टीम सुप्रीम कोर्ट तक जाने की तैयारी में है।

