आगरा: उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बड़े अंतरराज्यीय धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश करते हुए इसके मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान को दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके से गिरफ्तार किया है। मूल रूप से फिरोजाबाद के रजावली, रामगढ़ का रहने वाला अब्दुल रहमान, जिसका असली नाम महेंद्र पाल जादौन है, ने 1990 में पहले ईसाई और फिर इस्लाम धर्म अपनाकर अपना नाम बदल लिया था। वह आजीवन कारावास की सजा काट रहे मौलाना कलीम सिद्दीकी के गैंग का मुख्य संचालक था।

मामले का खुलासा और गिरफ्तारी
आगरा पुलिस ने ‘मिशन अस्मिता’ के तहत इस रैकेट का भंडाफोड़ किया। यह कार्रवाई मार्च 2025 में आगरा की दो सगी बहनों (33 और 18 वर्ष) के लापता होने के बाद शुरू हुई जांच से हुई, जब पता चला कि उनका जबरन धर्मांतरण कराया गया था। एक बहन ने सोशल मीडिया पर हथियार के साथ तस्वीर पोस्ट की थी, जिसके बाद पुलिस ने जांच तेज की। शनिवार, 19 जुलाई को आगरा पुलिस ने छह राज्यों—उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गोवा और उत्तराखंड—से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी को इस मामले में सबसे अहम माना जा रहा है।

रहमान का आपराधिक इतिहास और नेटवर्क
अब्दुल रहमान, जन्म 1973, मूल रूप से फिरोजाबाद का रहने वाला है। 1990 में उसने पहले ईसाई धर्म अपनाया और बाद में इस्लाम कबूल कर लिया। दिल्ली में मजदूरी के दौरान उसकी मुलाकात कलीम सिद्दीकी से हुई, जो 2021 में यूपी एटीएस द्वारा धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद रहमान ने इस रैकेट की कमान संभाली। वह यूट्यूब चैनल और पॉडकास्ट के जरिए कट्टरपंथी प्रचार करता था और हिंदू प्रतीकों का अपमान करता था।

पुलिस ने रहमान के दिल्ली स्थित ठिकाने से धर्मांतरण से जुड़ी किताबें, इस्लामिक प्रचार सामग्री और मौलाना कलीम सिद्दीकी द्वारा लिखित पुस्तकें बरामद की हैं। इसके अलावा, हरियाणा के रोहतक की एक लापता युवती को भी उसके पास से बरामद किया गया, जिसका धर्मांतरण कराने की योजना थी।

अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और संगठित नेटवर्क
जांच में खुलासा हुआ कि यह रैकेट उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गोवा और उत्तराखंड में सक्रिय था। इसका संचालन आईएसआईएस जैसे मॉड्यूल की तर्ज पर किया जाता था, जिसमें युवाओं को नौकरी, पैसे और सामाजिक सुरक्षा का लालच देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जाता था। इस गैंग को अमेरिका, कनाडा, लंदन और दुबई से फंडिंग मिल रही थी। रहमान का भतीजा लंदन से फंडिंग को री-रूट करता था, जबकि कनाडा में रहने वाला सैयद दाऊद अहमद भी फंडिंग में शामिल था।

गैंग का नेटवर्क संगठित था, जिसमें हर सदस्य को अलग-अलग भूमिका दी गई थी। कुछ लोग ब्रेनवॉशिंग के लिए जिम्मेदार थे, तो कुछ फंडिंग और ठहरने की व्यवस्था संभालते थे। गोवा की आयशा, जयपुर के मोहम्मद अली, कोलकाता के ओसामा और अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस की कार्रवाई और कानूनी कदम
आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने बताया कि यह गैंग न केवल धर्मांतरण बल्कि ‘भारत को इस्लामिक राष्ट्र’ बनाने की साजिश में भी शामिल था। पुलिस ने अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया है, और रहमान को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया गया है। मामले में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 के तहत कार्रवाई की जा रही है। डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा कि यह रैकेट PFI और अन्य कट्टरपंथी संगठनों से भी जुड़ा था।

लव जिहाद और सामाजिक प्रभाव
जांच में सामने आया कि गैंग विशेष रूप से हिंदू युवतियों को निशाना बनाता था। सोशल मीडिया के जरिए उन्हें प्रेमजाल में फंसाया जाता था, जिसके बाद ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण कराया जाता था। आगरा की दो बहनों के मामले में भी एक युवक जुनैद ने उन्हें फंसाया और दिल्ली में रहमान के पास ले जाया गया, जहां उनका धर्मांतरण कराया गया।

पुलिस की सतर्कता और भविष्य की कार्रवाई
यूपी पुलिस, एटीएस और एसटीएफ इस मामले की गहन जांच कर रही हैं। सैयद दाऊद अहमद की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद ली जा सकती है। पुलिस ने इस रैकेट के अन्य सदस्यों की तलाश तेज कर दी है, और खुफिया एजेंसियां अंतरराष्ट्रीय फंडिंग के स्रोतों की जांच कर रही हैं।
यह मामला उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ चल रही सख्त कार्रवाइयों का हिस्सा है, जिसके तहत ‘मिशन अस्मिता’ के तहत कई रैकेट्स का पर्दाफाश किया गया है।

आगरा पुलिस और यूपी एटीएस इस मामले में और जानकारी के लिए जनता से सहयोग की अपील कर रही है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत स्थानीय पुलिस को दी जा सकती है।

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