आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में औषधि विभाग और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई ने नकली दवाओं के एक बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है। माफिया ने जुकाम-खांसी, बुखार, एंटीबायोटिक, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी ज्यादा मांग वाली दवाओं को नामी कंपनियों के एक ही बैच नंबर से 1000 गुना तक बनाकर बाजार में खपाया। 71 करोड़ रुपये की नकली दवाएं सीज की जा चुकी हैं, जबकि 24 नमूनों की लैब जांच प्राथमिकता से चल रही है। लखनऊ के फरार संचालकों की लोकेशन गोवा में मिली है, और एसटीएफ अन्य राज्यों की पुलिस से सहयोग ले रही है।
सिंडिकेट का खुलासा: कैसे बनाई और खपाई गईं नकली दवाएं?
सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने बताया कि जांच में 8 फर्मों का काला कारोबार सामने आया है, जिनमें आगरा की हे मां मेडिकोज, राधे मेडिकल एजेंसी, बंसल मेडिकल एजेंसी, एमएसवी मेडि पॉइंट और ताज मेडिको शामिल हैं। इसके अलावा लखनऊ की न्यू बाबा फार्मा, पार्वती ट्रेडर्स और पुडुचेरी की मीनाक्षा फार्मा भी सिंडिकेट का हिस्सा हैं। माफिया ने उत्तराखंड, हिमाचल, चेन्नई और पुडुचेरी में नकली दवाएं तैयार करवाईं, जहां असली दवाओं के कुछ बॉक्स खरीदकर उनके बैच नंबर, क्यूआर कोड और रैपर की कॉपी की जाती थी। फिर हूबहू नकली दवाएं बनाकर कई राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़) में कालाबाजारी की जाती। यहां तक कि नेपाल और बांग्लादेश तक सप्लाई पहुंची।
10 लाख के बिल पर 1000 बॉक्स नकली दवाएं खपाई जातीं, जिससे करोड़ों का मुनाफा होता। दवाओं में जुकाम-खांसी, एंटी एलर्जिक, एंटीबायोटिक, दर्द निवारक, घाव भरने वाली, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दवाएं शामिल हैं, जिनकी मांग सबसे ज्यादा रहती है। फर्मों की बिक्री-खरीद की पूरी चेन की जांच चल रही है। प्रदेश के सभी जिलों के औषधि निरीक्षकों को इन फर्मों के नाम और बैच नंबर जारी कर कारोबार की जानकारी मांगी गई है।
रिश्वत का प्रयास और गिरफ्तारियां
कार्रवाई के दौरान हे मां मेडिकोज के संचालक हिमांशु अग्रवाल ने एसटीएफ और औषधि विभाग को 1 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का प्रयास किया, लेकिन 4 घंटे में रकम लेकर पहुंचते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। एसटीएफ एडीजी राकेश कुमार ने बताया कि यह सिंडिकेट आगरा के फुव्वारा दवा बाजार को केंद्र बनाकर चल रहा था। 22 अगस्त से शुरू हुई छापेमारी में हेमा मेडिको से 3.5 करोड़, राधे मेडिकल से 10 करोड़ और बंसल मेडिकल से करोड़ों की दवाएं सीज की गईं। कुल 71 करोड़ की दवाओं को जब्त किया गया है।
लखनऊ के विक्की कुमार (न्यू बाबा फार्मा) और सुभाष कुमार (पार्वती ट्रेडर्स) फरार हैं। उनके गोदाम बंद पड़े हैं, और एसटीएफ को गोवा में उनकी लोकेशन मिली है। संचालक लोकेशन बदल रहे हैं, इसलिए महाराष्ट्र और गोवा पुलिस से सहयोग लिया जा रहा है। अन्य नामजद: यूनिस, वारिस, फरहान, राजा उर्फ एके राणा। कोतवाली और एमएम गेट थाने में 4 मुकदमे दर्ज हुए हैं।
आगरा: नकली दवाओं का हॉटस्पॉट क्यों?
आगरा दवा बाजार नकली और नशीली दवाओं का प्रमुख केंद्र बन चुका है। पिछले 10 सालों में 500 करोड़ से अधिक की नकली दवाएं जब्त हो चुकी हैं। 2023-24 में विजय गोयल, राजोरिया बंधु जैसी फैक्टरियां पकड़ी गईं, लेकिन नया सिंडिकेट हर साल उभरता है। सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने आरोप लगाया कि बड़ी कंपनियां भाजपा को चंदा देती हैं, इसलिए कार्रवाई कमजोर है। एसआईटी गठित कर 15 विभागों की कार्यशाला हो रही है। जनता से जागरूकता अभियान चलाने की योजना है।
फर्म का नाम | स्थान | मुख्य कार्रवाई | सीज मूल्य (करोड़ रुपये) |
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हे मां मेडिकोज | आगरा | छापा, रिश्वत प्रयास | 3.5 |
राधे मेडिकल एजेंसी | आगरा | दवाएं जब्त | 10 |
बंसल मेडिकल एजेंसी | आगरा | गोदाम सील | करोड़ों |
एमएसवी मेडि पॉइंट | आगरा | जांच जारी | – |
ताज मेडिको | आगरा | नामजद | – |
न्यू बाबा फार्मा | लखनऊ | फरार संचालक | – |
पार्वती ट्रेडर्स | लखनऊ | गोदाम बंद | – |
मीनाक्षा फार्मा | पुडुचेरी | सिंडिकेट लिंक | – |
स्वास्थ्य जोखिम और आगे की कार्रवाई
नकली दवाओं से मरीजों की जान को खतरा है, क्योंकि इनमें सही कंपोजिशन नहीं होता। विशेषज्ञों का कहना है कि यह जानलेवा है। औषधि विभाग ने चेतावनी दी है कि जांच जारी रहेगी और संदिग्ध फर्मों पर सख्ती होगी। ग्रामीणों/मरीजों से अपील: दवाएं विश्वसनीय स्रोत से लें, बैच नंबर चेक करें। अगर आपके पास इस सिंडिकेट से जुड़ी जानकारी है, तो सूचित करें।
यह कार्रवाई नकली दवा कारोबार पर लगाम लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सिस्टम की खामियों को दूर करना जरूरी है।