अलीगढ़: उत्तर प्रदेश पुलिस की सिपाही भर्ती प्रक्रिया के अंतिम चरण में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। एक वायरल ऑडियो में यह दावा किया गया है कि मेडिकल फिटनेस सत्यापन में फेल हुए अभ्यर्थियों से री-मेडिकल में पास कराने के लिए ₹2 लाख की रिश्वत की मांग की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के एक कथित कर्मचारी और अभ्यर्थी के रिश्तेदार के बीच हुई बातचीत इस ऑडियो में रिकॉर्ड है। जिला नजर इस ऑडियो की पुष्टि नही करता है।
हालांकि अभी तक ऑडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं हो सकी है, फिर भी स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
क्या है मामला?
सोमवार को सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें एक व्यक्ति खुद को स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा बताकर री-मेडिकल के बदले दो लाख रुपये की मांग करता सुना जा रहा है। यह बातचीत उस समय की बताई जा रही है जब एक अभ्यर्थी का रिश्तेदार री-मेडिकल अपील के लिए दीनदयाल मंडलीय अस्पताल पहुंचा। बातचीत में अधिकारी की ओर से कथित रूप से कहा गया, “काम हो जाएगा, बस दो लाख खर्च होंगे।”
स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
अपर निदेशक स्वास्थ्य, डॉ. राजेश कटियार ने कहा,
“ऑडियो सत्य प्रतीत नहीं होता। आवाज न तो स्पष्ट है, न ही किसी विभागीय कर्मचारी की लगती है। फिर भी हम गंभीरता से इसकी जांच करा रहे हैं। यदि कोई कर्मचारी दोषी पाया गया तो कठोर कार्रवाई होगी।“
भर्ती प्रक्रिया की मौजूदा स्थिति
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22 अप्रैल से मेडिकल सत्यापन प्रक्रिया चल रही है।
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60-70 अभ्यर्थी प्रतिदिन बुलाए जा रहे हैं।
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हर दिन 6-7 अभ्यर्थी मेडिकल टेस्ट में फेल हो रहे हैं।
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अब तक 80 से अधिक अभ्यर्थियों ने अपील दर्ज कराई है।
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री-मेडिकल की प्रक्रिया मंडल कार्यालय में होती है, जहां अंतिम निर्णय लिया जाता है।
प्रश्नचिह्न और चिंता
अगर यह आरोप सही साबित होते हैं तो यह केवल कुछ लोगों की करतूत नहीं, बल्कि भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गहरा सवाल खड़ा करता है। यूपी पुलिस की साख और भर्ती व्यवस्था की वैधता को ठेस पहुंच सकती है।
क्या आगे हो सकता है?
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एलआईयू और पुलिस को जांच में जोड़ा गया है।
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अभ्यर्थियों से ऑडियो की सत्यता की पुष्टि के लिए पूछताछ हो सकती है।
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यदि रिश्वतखोरी की पुष्टि होती है, तो IPC और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज हो सकता है।