आगरा। मल्टीनेशनल कंपनी जैसी ऑफिस बिल्डिंग, रहने के लिए आवास, और 45 से 50 हजार रुपये महीने की सैलरी। इसी झांसे में फंसकर भारतीय युवा विदेश पहुंच रहे थे, जहां उन्हें चीनी साइबर ठगों का गुलाम बना दिया जाता था। वियतनाम, कंबोडिया और लाओस में फैले इन ठगों के सिंडिकेट का खुलासा पुलिस ने किया है। पूछताछ में सामने आया कि यह गिरोह भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और अफ्रीका तक अपना नेटवर्क फैला चुका है।

🔹 विदेश में बना रखा था ठगी का नेटवर्क

एडीसीपी आदित्य सिंह के अनुसार, चीनी साइबर ठगों का पूरा इंटरनेशनल नेटवर्क इन तीन देशों — वियतनाम, लाओस और कंबोडिया — से ऑपरेट होता है।
यह लोग बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस जैसी बिल्डिंगों में अपना ठिकाना बनाते हैं, जहां रहने-खाने की पूरी व्यवस्था होती है।

एजेंट एयरपोर्ट से उतरते ही युवाओं के पासपोर्ट और वीज़ा जब्त कर लेते हैं, ताकि वे भाग न सकें। इसके बाद कंपनी का आईडी कार्ड जारी कर दिया जाता है और ठगी की ट्रेनिंग शुरू होती है।

🔹 जितनी ठगी, उतना कमीशन

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि वहां युवाओं को ठगी के अलग-अलग तरीके सिखाए जाते हैं।
हर व्यक्ति की एक जिम्मेदारी तय होती है —
कोई कॉल करता है, कोई डेटा संभालता है, और कोई शिकार को डराने के लिए अधिकारी बनता है।

“अगर कोई युवक काम करने से इनकार करता है, तो उसे ‘डार्क रूम’ में बंद कर दिया जाता है और फिरौती मांगी जाती है।”

जो युवक ठगी में शामिल हो जाते हैं, उन्हें ठगी की रकम का कमीशन दिया जाता है। इसी लालच में कई लोग वापस लौटने का फैसला नहीं कर पाते।

🔹 ‘डिजिटल अरेस्ट’ है गिरोह की सबसे खतरनाक चाल

यह गिरोह सबसे ज्यादा ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों में सक्रिय है।
वे खुद को पुलिस या आयकर अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं,
वीडियो कॉल पर फर्जी ऑफिस और यूनिफॉर्म दिखाकर पीड़ितों से लाखों रुपये वसूलते हैं।

एजेंटों के माध्यम से उन्हें डाटा मिलता है, और बातचीत के दौरान पीड़ित की जानकारी रिकॉर्ड की जाती है।

🔹 एक युवक के बदले 3500 डॉलर का सौदा

पुलिस जांच में सामने आया कि प्रत्येक युवक को विदेश भेजने पर एजेंटों को 3500 अमेरिकी डॉलर (करीब 3.5 लाख रुपये) तक कमीशन मिलता था।
जो लोग बैंक खाते या सिम कार्ड उपलब्ध कराते थे, उन्हें अलग से रकम दी जाती थी।

इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क में कई भारतीय एजेंट शामिल हैं।
पुलिस अब रत्नागिरी से पकड़े गए आमिर और पंजाब निवासी एक अन्य आरोपी आतिफ उर्फ रॉनी से पूछताछ कर रही है।

🔹 साइबर ठगी का बड़ा नेटवर्क हुआ सक्रिय

कुछ समय पहले ट्रांस यमुना पुलिस ने भी 12 सदस्यों के ऐसे गिरोह को पकड़ा था,
जिसमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
अब पुलिस इस पूरे नेटवर्क के स्रोत और फंडिंग चैनल का पता लगाने में जुटी है।

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