आगरा। अखिल भारतीय जाट महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने आज उ प्र सरकार की कैबिनेट मन्त्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य को उ प्र के मुख्यमन्त्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नाम एक ज्ञापन सोंपकर ब्रज के वीर योद्धाओं को सम्मान दिये जाने की माँग को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। एवं आयुक्त आगरा मण्डल से भेंटकर ऐतिहासिक तथ्यों के साथ जानकारी दी।
अखिल भारतीय जाट महासभा के जिलाध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर ने बताया है कि मुगलिया सल्तनत ने अपने शासन काल में ब्रज क्षेत्र की जनता पर अमानुषिक,धार्मिक अत्याचार, जजिया जैसे कर लगाकर यातनायें दी थी और आगरा सहित ब्रज क्षेत्र को पौने तीन सौ साल तक गुलामी की जंजीरों में जकङे रखा था।

जिसके खिलाफ विद्रोह की आवाज ब्रज क्षेत्र में सर्वप्रथम वीर गोकुल सिंह उर्फ गोकुला जाट ने औरंगजेब जैसे सर्वाधिक ताकतवर व अत्याचारी के खिलाफ 1660 के दशक में विद्रोह कर उसके अनेक फौजदारों को मार डाला था। औरंगजेब को स्वयं बङी सेना लेकर ब्रज क्षेत्र के इस विद्रोह को कुचलने के लिए गढी तिलपत आना पड़ा।

वीर गोकुल सिंह और उसके चाचा उदय सिंह ने औरंगजेब को तीन दिन तक युद्ध कराया था औरंगजेब की प्रशक्षित तोप और बन्दूकों से सुसज्जित सेना से गोकुला की अवैतनिक ,बन्दूक, तीर तलवारों, बल्लम-फरसों से लैस सेना ने तीन दिन तक युद्ध किया और अन्त में गोकुला, चाचा उदय सिंह सहित हजारों किसानों को बन्दी बनाकर आगरा किला लाया गया, इस्लाम धर्म न अपनाने पर गोकुला और चाचा उदय सिंह को पुरानी कोतवाली आगरा पर अंग अंग काटकर मौत की सजा दी।

गोकुला और उसके चाचा उदय सिंह की अमानुषिक हत्या का बदला रामकी चाहर और राजाराम जाट ने विद्रोह कर 27-फरवरी 1688 को सिकन्दरा पर आक्रमण कर, लूटकर, अकबर की कब्र को खोदकर हड्डियां जलाकर और सिकन्दरा में आग लगाकर लिया। और धौलपुर अलवर, भरतपुर सहित सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र में मुगलों से जमकर संघर्ष किया।

जिलाध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर ने बताया ने बताया कि 12-जून 1761 को भरतपुर रियासत के अजेय महाराजा सूरजमल ने आगरा किले पर कब्जा कर मुगलिया सल्तनत से आगरा सहित ब्रज क्षेत्र की जनता को आजाद कराया था। महाराजा सूरजमल उनके पुत्र महाराजा जवाहर सिंह, राजा रतन सिंह व राजा नवल सिंह ने लगभग 14-वर्ष तक आगरा किले पर शासन कर अनेक विकास कार्य कराये। जो आज भी जीवन्त हैं राजा रतन सिंह की हवेली आज भी आगरा किले में है।

यह सब जानकारी जाट महा सभा के प्रतिनिधिमंडल ने ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ श्रीमती बेबी रानी मौर्य व आयुक्त आगरा मण्डल को दी। और माँग की कि ब्रज के ऐसे वीर योद्धाओं को सम्मान स्वरूप उ प्र सरकार किसी बङे उद्यान का नाम वीर गोकुला और महाराजा सूरजमल के नाम पर रखे। रामकी चाहर और राजाराम जाट के नाम पर सिकन्दरा मैट्रो का नाम रखा जाय वहीं पर इनकी अश्वारोही प्रतिमा लगवायी जांय। महाराजा सूरजमल व महाराजा जवाहर सिंह की अश्वारोही प्रतिमा आगरा किले के समक्ष लगवाई जाय। 12-जून 1761 को आगरा विजय दिवस सरकारी स्तर पर मनाया जाय जिस प्रकार महाराष्ट्र सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज की जयन्ती आगरा किले में मनाती है।

कैबिनेट मन्त्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य व आयुक्त आगरा मण्डल से मुलाकात करने वालों में जिलाध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर के साथ समाज सेवी कुं शैलराज सिंह एडवोकेट, मोहन सिंह चाहर, पूर्व ब्लॉक प्रमुख यशपाल राना,गुड्डा प्रधान सुनारी, महामन्त्री वीरेन्द्र सिंह छोंकर ,उपाध्यक्ष डा नेत्रपाल सिंह व चौ नवल सिंह, चौ गुलवीर सिंह, युवा जाट महासभा के जिला प्रभारी देवेंद्र सिंह चाहर (पूर्व ब्लाक प्रमुख),महानगर अध्यक्ष लखन चौधरी,जिला संगठन मन्त्री नैपाल सिंह राना व सत्यवीर सिंह रावत,किसान नेता चौधरी दलीप सिंह, बलवीर सिंह मुखिया जी आदि थे।

  • रिपोर्ट – मोहम्मद इस्माइल

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