नई दिल्ली/एजेंसी। बहुजन समाज पार्टी में आकाश आनंद को मुख्य कोऑर्डिनेटर बनाए जाने को उनकी धमाकेदार एंट्री के रूप में देखा जा रहा है। भले ही बसपा सुप्रीमो मायावतीने उन्हें अभी तक अपना उत्तराधिकारी घोषित न किया हो, लेकिन अन्य तीनों राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटरों को उनके अधीन करके उन्होंने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उनके बाद पार्टी की कमान आकाश आनंद के हाथों में ही होगी। अब ये तीनों राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर सीधे आकाश आनंद को रिपोर्ट करेंगे।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक नया प्रयोग करते हुए पहली बार देश को तीन ज़ोनों में विभाजित किया है। प्रत्येक ज़ोन का प्रभारी राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर को बनाया गया है। जोन-एक का प्रभार रामजी गौतम को, जोन-दो का रणधीर बेनीवाल को, और जोन-तीन का प्रभार राजाराम को सौंपा गया है।

आकाश आनंद के नेतृत्व में काम करेंगे तीनों राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मायावती के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि आकाश आनंद के नेतृत्व में तीनों राष्ट्रीय उपाध्यक्ष काम करेंगे। इस निर्णय के बाद पार्टी के अंदर यह चर्चाएं तेज़ हो गई हैं कि ‘बहनजी’ ने भले ही अपने भतीजे को औपचारिक रूप से उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है, लेकिन इतनी बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में आकाश ही उनके राजनीतिक वारिस होंगे।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें बिहार चुनाव की जिम्मेदारी दी है. ऐसे में उनके साथ ये सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होगी. आकाश आनंद न सिर्फ बिहार चुनाव में प्रचार करेंगे बल्कि चुनाव की रणनीति बनाने में भी उनकी अहम भूमिका होगी.

बिहार में बसपा का 25-30 सीटों पर कैडर मजबूत रहा है. हालांकि पार्टी यहां कभी मजबूत शक्ति के तौर पर नहीं उभरी है. 2020 के विधानसभा चुनाव में बसपा को एक सीट पर जीत भी हासिल हुई थी. बसपा ने इस बार अकेले ही बिहार चुनाव में उतरने का ऐलान किया है. हालांकि जानकारों का मानना है बसपा जैसी पार्टी अगर अकेले उतरती है तो उसकी राह आसान नहीं होगी.

आकाश आनंद अब बसपा के साथ युवाओं को जोड़ने की मुहिम चलाएंगे और देश भर में दलित उत्पीड़न के मामलों के विरोध में आवाज बुलंद करते हुए दिखाई देंगे. सूत्रों के मुताबिक मायावती की ओर से उन्हें स्पष्ट तौर पर निर्देश दिए गए हैं कि पार्टी के संगठन को जमीनी स्तर पर मज़बूत किया जाए और बसपा के वोटरों को एकजुट करके रखा जाए, ताकि विरोधी दल उसमें सेंध न लगा सकें.

बीते कुछ सालों में बहुजन समाज पार्टी लगातार उत्तर प्रदेश में कमजोर होती जा रही है. भारतीय जनता पार्टी से लेकर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आज़ाद समाज पार्टी ने उसके वोटबैंक बड़े पैमाने पर सेंध लगाई है. लेकिन अब बसपा एक बार फिर से खुद को मजबूत करने में जुटी है. आकाश आनंद की बसपा में वापसी से पार्टी के अंदर उत्साह देखने हैं. पार्टी के अंदर भी उनकी लोकप्रियता है.

यह कदम पार्टी के भविष्य की दिशा और नेतृत्व की अगली पंक्ति को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाने वाला माना जा रहा है।

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