रिपोर्ट: राहुल गौड़, मथुरा

मथुरा। मथुरा की सदर तहसील में सरकारी तंत्र की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां लिपिक साजिया द्वारा फर्जी तरीके से 39 EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) प्रमाण पत्र जारी किए गए। हैरानी की बात यह है कि इन प्रमाण पत्रों को जारी करने के लिए तहसीलदार सौरभ यादव के फर्जी हस्ताक्षरों का इस्तेमाल किया गया।

इस गंभीर मामले का खुलासा तब हुआ जब खुद तहसीलदार सौरभ यादव ने जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह को इसकी जानकारी दी। तहसीलदार के अनुसार, किसी कर्मचारी ने उनके फर्जी हस्ताक्षर कर ये प्रमाण पत्र जारी किए हैं, जिनमें से कुछ प्रमाण पत्र उनके हाथ लगे हैं।

जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार व एसडीएम की संयुक्त जांच समिति गठित की। जांच के दौरान लिपिक साजिया ने अपनी गलती स्वीकार कर ली और बताया कि उनसे गलती से फर्जी हस्ताक्षर हो गए। इस स्वीकारोक्ति के बाद डीएम सीपी सिंह ने तुरंत प्रभाव से साजिया को निलंबित कर दिया और विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए।

जांच के दायरे में अब यह भी देखा जा रहा है कि कुल कितने फर्जी प्रमाण पत्र जारी हुए, किन-किन लोगों ने इसका लाभ उठाया, और क्या इसमें अन्य कर्मचारी भी शामिल थे। अधिकारियों का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना के बाद तहसील परिसर में हड़कंप मच गया है। अधिकारी और कर्मचारी सतर्क हो गए हैं, वहीं इस घोटाले ने सरकारी प्रमाण पत्रों की प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

राहुल गौड एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में कार्य करने का 10 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा में सक्रिय रहते हुए उन्होंने विभिन्न समाचार माध्यमों के लिए निष्पक्ष और प्रभावशाली रिपोर्टिंग की है। उनके कार्य में स्थानीय मुद्दों की गंभीर समझ और जनसरोकार से जुड़ी पत्रकारिता की झलक मिलती है।

error: Content is protected !!
Exit mobile version