लखनऊ। उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से राज्य के नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन के लिए पार्टी हाईकमान को छह नामों की सूची भेजी गई है। 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इस सूची में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए विविधता को प्राथमिकता दी गई है, जिसमें ब्राह्मण, ओबीसी, और दलित समुदाय के नेताओं के नाम शामिल हैं।

सूची में शामिल छह दिग्गज नाम:

दिनेश शर्मा (ब्राह्मण): पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के करीबी माने जाने वाले दिनेश शर्मा अपनी स्वच्छ छवि और शैक्षणिक पृष्ठभूमि के लिए जाने जाते हैं। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में उनकी मजबूत पकड़ है।
हरीश द्विवेदी (ब्राह्मण): बस्ती से पूर्व सांसद और राष्ट्रीय सचिव हरीश द्विवेदी युवा नेतृत्व और संसदीय अनुभव के साथ एक मजबूत दावेदार हैं।
धर्मपाल सिंह (ओबीसी): उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और लोध समुदाय से आने वाले धर्मपाल सिंह बुंदेलखंड और रोहिलखंड में प्रभावशाली माने जाते हैं।
बीएल वर्मा (ओबीसी): केंद्रीय राज्य मंत्री और लोध समुदाय के नेता बीएल वर्मा की क्षेत्रीय और सामाजिक आधार पर मजबूत पकड़ है।
राम शंकर कठेरिया (दलित): पूर्व केंद्रीय मंत्री और दलित समुदाय के प्रमुख चेहरों में से एक, कठेरिया का अनुभव उन्हें इस रेस में महत्वपूर्ण बनाता है।
विद्या सागर सोनकर (दलित): मौजूदा विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सोनकर पूर्वांचल में अपनी जमीनी पकड़ और पार्टी के प्रति निष्ठा के लिए जाने जाते हैं।

जातीय समीकरण और रणनीति:

बीजेपी ने इस सूची में दो ब्राह्मण, दो ओबीसी, और दो दलित नेताओं को शामिल कर जातीय संतुलन बनाने की कोशिश की है। यह रणनीति 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को मिली चुनौतियों और विपक्ष की ‘पिछड़ा-दलित’ रणनीति का जवाब देने के लिए बनाई गई है। खास तौर पर पूर्वांचल में मिली हार के बाद पार्टी सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने पर जोर दे रही है।

कब होगा फैसला?

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि हाईकमान अगले दो हफ्तों में, या शायद उससे पहले, नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर सकता है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा, “हमने अपनी राय हाईकमान को दे दी है। अब फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है, और हमें उम्मीद है कि यह जल्द होगा।”

क्यों है यह फैसला अहम?

उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा और 403 विधानसभा सीटों के साथ बीजेपी के लिए यह राज्य हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों में मिली अप्रत्याशित चुनौतियों के बाद पार्टी 2025 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए अभी से रणनीति तैयार कर रही है। नए अध्यक्ष का चयन न केवल संगठन को मजबूत करेगा, बल्कि विपक्ष की रणनीतियों का जवाब देने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

क्या कहते हैं विश्लेषक?

राजनीतिक विश्लेषक आरएन बाजपेयी का कहना है, “बीजेपी को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो जमीनी स्तर पर लोकप्रिय हो और सामाजिक बदलावों के प्रति संवेदनशील हो। यह नियुक्ति बीजेपी की भविष्य की दिशा तय करेगी।”
यूपी बीजेपी का यह कदम न केवल संगठनात्मक मजबूती के लिए है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पार्टी सामाजिक समीकरणों और क्षेत्रीय प्रभाव को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति को और सशक्त करने की दिशा में काम कर रही है।

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