वृंदावन। उत्तर भारत के विशालतम दक्षिण भारतीय शैली के श्री रंगनाथ मंदिर में मंगलवार को बैकुंठ एकादशी के अवसर पर वर्ष में एक बार खुलने वाला बैकुंठ द्वार भक्तों के लिए खोल दिया गया। परंपरा के अनुसार भगवान श्री रंगनाथ पालकी में विराजमान होकर माता गोदा जी संग ब्रह्म मुहूर्त में बैकुंठ द्वार पहुंचे और भक्तों को पावन दर्शन दिए। मान्यता है कि इस द्वार से निकलने वाले श्रद्धालु को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।देर रात मंगला आरती से प्रारंभ हुए बैकुंठ उत्सव में सुबह वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना संपन्न हुई। मंदिर के श्रीमहंत गोवर्धन रंगाचार्य के नेतृत्व में सेवायत पुजारियों ने पाठ किया, जिसके बाद भगवान की पालकी मंदिर प्रांगण में भ्रमण कर पौंडानाथ मंदिर (निज धाम) में विराजमान हुई।बैकुंठ द्वार से निकलने की इच्छा लिए लाखों भक्त रात से ही मंदिर परिसर में जुटने लगे। मंदिर प्रशासन के अनुसार 21 दिवसीय बैकुंठ उत्सव के 11वें दिन बैकुंठ एकादशी पर यह द्वार खोला जाता है। मंदिर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि इस दौरान अलवार आचार्य अपनी रचित गाथाएं भगवान को समर्पित करते हैं। द्वार को आकर्षक फूलों और रोशनी से सजाया गया, जिससे बैकुंठ लोक का दिव्य दृश्य साकार होता दिखा।श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सख्त सुरक्षा व्यवस्था की गई। सीओ सदर संदीप सिंह, कोतवाली प्रभारी संजय पांडे और निरीक्षक क्राइम धर्मेंद्र कुमार ने सुरक्षा की कमान संभाली। ठंड को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने अलाव, मैट, चाय, दूध और हलवा प्रसाद जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराईं। बैकुंठ एकादशी पर भगवान के दिव्य दर्शन कर भक्त उल्लास और आस्था में सरोबार नजर आए।

राहुल गौड एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में कार्य करने का 10 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा में सक्रिय रहते हुए उन्होंने विभिन्न समाचार माध्यमों के लिए निष्पक्ष और प्रभावशाली रिपोर्टिंग की है। उनके कार्य में स्थानीय मुद्दों की गंभीर समझ और जनसरोकार से जुड़ी पत्रकारिता की झलक मिलती है।

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