रिपोर्ट🔹 अजय कुमार सिंह कुशवाहा

इटावा। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा और मुड़िया पूनों के रूप में मनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुवार के दिन आने से इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया। जनपद और शहर भर के विभिन्न आश्रमों, मठों एवं देवस्थलों पर दिनभर शिष्यों द्वारा अपने गुरुओं का पूजन कर आशीर्वाद ग्रहण करने का पावन क्रम चलता रहा।

विद्यालयों में भी बच्चों और छात्रों ने अपने शिक्षकों का सम्मान करते हुए उन्हें पुष्प, पुस्तकें और कलम भेंट कीं। कई स्थानों पर गुरुपूजन के उपरांत भजन-कीर्तन व प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया।

शहर के दक्षिणी छोर स्थित ऐतिहासिक टिक्सी मंदिर के समीप स्वामी वासुदेव मुनि उर्फ पटियाला बाबा ने गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा—

“गुरु पूर्णिमा का पर्व शिष्य और गुरु के बीच अटूट आस्था और निष्ठा का प्रतीक है। इस बार पूर्णिमा का गुरुवार के दिन आना इसे और भी शुभ बना रहा है।”

उन्होंने यह भी बताया कि सुबह 5:30 बजे हुई बारिश के बाद दिनभर मौसम साफ रहा, जिससे श्रद्धालुओं को बड़ी संख्या में गुरुपूजन का सौभाग्य मिला। वहीं, शाम ढलते ही पुनः तेज वर्षा शुरू हो गई, जिससे वातावरण पूरी तरह भक्तिमय और शीतल हो गया।


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