धौलपुर। राजस्थान सरकार विकास, स्वच्छता और सुशासन के नाम पर करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। टूटी सड़कें, ओवरफ्लो सीवरेज और कचरे के ढेर—धौलपुर जिले की ये समस्याएं न सिर्फ आमजन को परेशान कर रही हैं, बल्कि सरकार की छवि को भी धूमिल कर रही हैं। क्या ये लापरवाही है या साजिश? एक गहन विश्लेषण।

टूटी सड़कें, बहता गंदा पानी: धौलपुर की दर्दनाक हकीकत

राजस्थान सरकार प्रदेश के विकास, स्वच्छता और सुशासन के लिए निरंतर प्रयासरत है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कई बार इन प्रयासों पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर देती है। धौलपुर जिले की स्थिति इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बनती जा रही है, जहाँ टूटी हुई सड़कें, ओवरफ्लो होती सीवरेज लाइनें और जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर आमजन की दिनचर्या को नरक बना रहे हैं।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि ये समस्याएँ न तो नई हैं और न ही किसी एक क्षेत्र तक सीमित। इसके बावजूद इनके समाधान की दिशा में ठोस और प्रभावी कार्रवाई होती दिखाई नहीं देती। सवाल यह उठता है कि क्या संबंधित अधिकारी अपने दायित्वों के प्रति उदासीन हो चुके हैं, या फिर यह लापरवाही किसी गहरी साजिश का हिस्सा है?

करोड़ों का बजट, खोखले दावे: सरकार vs जमीनी सच्चाई

राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपये के बजट स्वच्छता, सड़क निर्माण और नगरीय विकास के लिए स्वीकृत किए जाते हैं। मुख्यमंत्री स्वयं स्वच्छता अभियान, आधारभूत ढाँचे के विकास और आमजन की समस्याओं के त्वरित समाधान की बात करते हैं। फिर भी जब ज़िला स्तर पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हों, तो स्वाभाविक रूप से जनता का विश्वास डगमगाने लगता है और इसका सीधा असर सरकार की छवि पर पड़ता है।

धौलपुर में जगह-जगह टूटी सड़कें दुर्घटनाओं को न्योता दे रही हैं। सीवरेज का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। कचरा प्रबंधन की स्थिति इतनी खराब है कि स्वच्छ भारत अभियान के दावे खोखले नज़र आने लगते हैं। आम नागरिक बार-बार शिकायतें दर्ज कराते हैं, ज्ञापन सौंपते हैं, लेकिन कार्रवाई केवल कागज़ों तक सीमित रह जाती है।

लापरवाही या साजिश? अधिकारियों पर उठे सवालों का दौर

यह स्थिति कई सवाल खड़े करती है। क्या कुछ अधिकारी जानबूझकर काम में ढिलाई बरत रहे हैं? क्या वे सरकार और मुख्यमंत्री की मंशा के विपरीत जाकर शासन को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं? यदि ऐसा है तो यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि जनता के साथ विश्वासघात भी है।

जवाबदेही का समय: सख्त कार्रवाई से ही बचेगी सरकार की साख

अब समय आ गया है कि सरकार ऐसे अधिकारियों की जवाबदेही तय करे, जो अपनी निष्क्रियता या मनमानी से प्रदेश सरकार की छवि को नुकसान पहुँचा रहे हैं। ज़मीनी स्तर पर निगरानी, समयबद्ध कार्यवाही और दोषियों पर सख्त कार्रवाई ही इसका समाधान है।

राजस्थान की जनता विकास चाहती है, राजनीति नहीं। यदि धौलपुर जैसे जिलों की समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो यह असंतोष आगे चलकर बड़े जनआंदोलन का रूप ले सकता है। सरकार और मुख्यमंत्री के लिए यह आवश्यक है कि वे ऐसे तत्वों को चिन्हित करें जो व्यवस्था के भीतर रहकर व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं, ताकि सुशासन का सपना साकार हो सके और आमजन का भरोसा फिर से मजबूत किया जा सके।

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🔹शंकर देव तिवारी

"गांव से शहर तक, गलियों से सड़क तक- आपके इलाके की हर धड़कन को सुनता है "जिला नजर" न्यूज़ नेटवर्क: नजरिया सच का

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