आगरा: आगरा छावनी विधानसभा क्षेत्र के विधायक और पूर्व राज्यमंत्री डॉ. जीएस धर्मेश ने मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का गंभीर आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने दावा किया कि केवल 65 बूथों में ही 6,349 फर्जी या डुप्लिकेट वोट दर्ज हैं, जिससे पूरे चुनावी सिस्टम की विश्वसनीयता खतरे में पड़ गई है।

मुख्य आरोप और आंकड़े:

श्रेणी संख्या
कुल मतदाता (65 बूथ) 45,521
संदिग्ध/डुप्लिकेट वोट 6,349
वास्तविक मतदाता (अनुमानित) 39,172
  • शादीशुदा महिलाओं का खेल: करीब 5,400 महिलाओं के नाम मायके के पते पर दर्ज हैं, जबकि वे ससुराल में रह रही हैं। यह प्रथा चुनावी लाभ के लिए जानबूझकर की जा रही है।
  • डुप्लिकेट नाम: 949 नाम दो बार दर्ज पाए गए।
  • बीएलओ की भूमिका: विधायक ने बीएलओ को “निकम्मा और गैरजिम्मेदार” बताया। उनका कहना है कि बीएलओ घर-घर सत्यापन नहीं करते, फॉर्म-7 (नाम हटाने का फॉर्म) पर कार्रवाई टालते हैं और बहाने बनाते हैं कि “4-5 से ज्यादा वोट नहीं काटे जा सकते”—जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है।

डॉ. धर्मेश का तीखा बयान:

“यह सिर्फ एक बूथ का हाल है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में जांच हुई तो फर्जी वोटों का आंकड़ा लाखों में पहुंच सकता है। बीएलओ की लापरवाही से लोकतंत्र का मज़ाक बन रहा है। जब तक दोषियों पर एफआईआर नहीं होगी, सुधार संभव नहीं।”

मांगे गए कदम:

  1. उच्चस्तरीय जांच – जिला निर्वाचन अधिकारी और रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा।
  2. दोषी बीएलओ पर एफआईआर – तत्काल प्रभाव से।
  3. मतदाता सूची का पूर्ण ऑडिट – स्वतंत्र एजेंसी से।
  4. फर्जी वोट हटाने का अभियान – 15 दिन के अंदर।

राजनीतिक कोण:

  • यह मामला 2026 पंचायत चुनाव और 2027 विधानसभा चुनाव से पहले गंभीर चुनौती बन गया है।
  • विपक्ष इसे “चुनावी धांधली की तैयारी” बता रहा है, जबकि सत्तापक्ष ने अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया।
  • आगरा में पहले भी मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायतें आती रही हैं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर खुलासा पहली बार हुआ है।

प्रशासन पर दबाव:

जिलाधिकारी और निर्वाचन अधिकारी पर अब पारदर्शी जांच का दबाव है। यदि कार्रवाई नहीं हुई तो:

  • विधायक ने धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
  • चुनाव आयोग की साख दांव पर लगी है।

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