आगरा: श्रावण मास के दूसरे सोमवार को अखिल भारत हिंदू महासभा की आगरा जिलाध्यक्ष मीरा राठौर ने ताजमहल को ‘तेजो महालय’ बताकर वहां गंगाजल से जलाभिषेक करने की कोशिश की। हालांकि, पुलिस ने उन्हें पुरानी मंडी चौराहे पर रोक लिया और स्थानीय भोलेनाथ मंदिर में गंगाजल अर्पित करवाया। इस घटना के दौरान पुलिस और हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं के बीच तीखी बहस भी हुई।
घटना का विवरण
सुबह करीब 11 बजे मीरा राठौर अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ कलश में गंगाजल लेकर ताजमहल की ओर बढ़ रही थीं। इससे पहले पुलिस ने उन्हें उनके घर पर नजरबंद कर दिया था, लेकिन वह पुलिस की नजरबंदी को चकमा देकर ताजमहल की ओर निकल गईं। पुलिस को इसकी भनक लगते ही भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया। पुरानी मंडी चौराहे पर मीरा राठौर और उनके कार्यकर्ताओं को रोक लिया गया। पुलिस ने उन्हें ताजमहल परिसर में प्रवेश करने से रोकते हुए पास के भोलेनाथ मंदिर में गंगाजल अर्पित करने के लिए कहा।
इस दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई। मीरा राठौर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें जबरन रोका और दबाव डालकर गंगाजल स्थानीय मंदिर में चढ़वाया। उन्होंने कहा, “जब तक मेरे शरीर में जान है, तेजो महालय के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा।”
हिंदू महासभा का दावा
अखिल भारत हिंदू महासभा लंबे समय से दावा करती रही है कि ताजमहल वास्तव में एक प्राचीन शिव मंदिर ‘तेजो महालय’ है। संगठन का कहना है कि श्रावण मास में वे हर साल ताजमहल में कांवड़ जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करने की कोशिश करते हैं। इससे पहले भी मीरा राठौर ताजमहल परिसर में भगवा झंडा फहराने, शिव प्रतिमा स्थापित करने और गंगाजल चढ़ाने की कोशिश कर चुकी हैं, जिसके चलते प्रशासन ने कई बार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।
पुलिस की कार्रवाई और विवाद
पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मीरा राठौर को ताजमहल में प्रवेश करने से रोक दिया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमें सूचना मिली थी कि हिंदू महासभा के कार्यकर्ता ताजमहल में गंगाजल चढ़ाने की योजना बना रहे हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमने उन्हें पुरानी मंडी चौराहे पर रोक लिया और गंगाजल को स्थानीय मंदिर में अर्पित करवाया।”
मीरा राठौर ने पुलिस पर दबाव डालने का आरोप लगाया और कहा कि ताजमहल में उर्स और अन्य धार्मिक गतिविधियों की अनुमति दी जाती है, लेकिन हिंदू संगठनों को पूजा-अर्चना करने से रोका जाता है। उन्होंने कहा, “यह भेदभावपूर्ण रवैया है। ताजमहल तेजो महालय है, और हम अपने धार्मिक अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे।”
पहले भी हो चुके हैं विवाद
यह पहली बार नहीं है जब अखिल भारत हिंदू महासभा ने ताजमहल को लेकर विवाद खड़ा किया है। इससे पहले 29 जुलाई 2024 को भी मीरा राठौर कांवड़ लेकर ताजमहल के पश्चिमी गेट पर पहुंची थीं, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया था। इसके अलावा, 3 अगस्त 2024 को संगठन के दो कार्यकर्ता, श्याम और वीनेश कुंतल, ताजमहल के मुख्य गुंबद पर गंगाजल चढ़ाने में सफल रहे थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने ‘हर-हर महादेव’ के नारे लगाए और दीवार पर ओम का स्टीकर चिपकाया था।
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय जाट ने तब दावा किया था कि यह ‘डाक कांवड़’ थी, जिसे सोरों से लाया गया था। संगठन ने इसे अपने दावे को सिद्ध करने की कोशिश बताया था।
ताजमहल-तेजो महालय विवाद
ताजमहल को लेकर हिंदू महासभा का दावा कि यह एक शिव मंदिर है, लंबे समय से विवाद का विषय रहा है। इस मुद्दे पर कई याचिकाएं आगरा की स्थानीय अदालतों में विचाराधीन हैं। संगठन का कहना है कि ताजमहल में धार्मिक गतिविधियां जैसे उर्स और मुशायरे की अनुमति दी जाती है, लेकिन हिंदू धार्मिक प्रथाओं को रोकना भेदभाव है।
वहीं, पुरातत्व विभाग और प्रशासन का कहना है कि ताजमहल एक ऐतिहासिक स्मारक और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जहां किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती।
आगे क्या?
इस घटना के बाद ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है। पुलिस ने कहा कि वह किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगी। दूसरी ओर, हिंदू महासभा ने ऐलान किया है कि वे अपने दावों को लेकर कानूनी और सड़क पर संघर्ष जारी रखेंगे।
यह लेख तथ्यों पर आधारित है और किसी भी पक्ष का समर्थन या विरोध नहीं करता। ताजमहल-तेजो महालय विवाद एक संवेदनशील मुद्दा है, और पाठकों से अनुरोध है कि वे इसे तथ्यात्मक और संतुलित दृष्टिकोण से देखें।
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