• पूर्व में भी कुलाधिपति से भ्रष्टाचार की शिकायत की थी, आरोप पाए गए थे सही
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय के विधिक सलाहकार के द्वारा विश्वविद्यालय में हो रहे भ्रष्टाचार और उनके बिलों के भुगतान को मांगे जा रहे कमीशन की प्रधानमंत्री, राजभवन और मुख्यमंत्री से शिकायत की गई है। शिकायत के बाद मामला गर्मा गया है। विधिक सलाहकार को शुक्रवार को हुई कार्य परिषद में हटा दिया गया है। तीन साल पहले भी उन्होंने विश्वविद्यालय में हो रहे भ्रष्टाचार और बिलों के लिए मांगे जा रहे कमीशन की राज भवन में शिकायत की थी। जांच में उनके आरोप सही पाए जाने के बाद तत्कालीन कुलपति हटे थे।
वर्ष 2011 में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर डीएन जौहर के कार्यकाल में डॉक्टर अरुण कुमार दीक्षित को कार्य परिषद के माध्यम से विश्वविद्यालय का विधिक सलाहकार नियुक्त किया गया था। वर्ष 2021 में उन्होंने राज भवन में विश्वविद्यालय में हो रहे भ्रष्टाचार और अपने बिलों के लिए मांगे जा रहे कमीशन की शिकायत की थी। राज भवन ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी बना दी। कमेटी ने आरोपों को सही पाया। इसके बाद तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी थी। कार्रवाई से पहले उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया।
इधर कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल तो हट गए लेकिन डॉक्टर अरुण कुमार दीक्षित के भुगतान फिर भी नहीं हुए। पिछले महीने उन्होंने प्रधानमंत्री, राज भवन और मुख्यमंत्री के यहां विश्वविद्यालय में हो रहे भ्रष्टाचार और उनके बिलों के भुगतान के लिए पुनः मांगे जा रहे कमीशन की शिकायत की। शिकायत में कहा गया कि पूर्व में कुलाधिपति की ओर से जांच को बनाई गई उच्च स्तरीय कमेटी के द्वारा विश्वविद्यालय से उनके लंबित भुगतानों का भुगतान करने के लिए कहा था। इसके बावजूद उनके अधिकतर भुगतान लटकाए जाते रहे।
शिकायत में वर्तमान कुलपति प्रोफेसर आशु रानी, प्रोफेसर राजीव वर्मा, उप कुलसचिव पवन कुमार और कर्मचारी राधिका प्रसाद के द्वारा कमीशन मांगे जाने के आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा है कि रिश्वत की डिमांड अभी भी बरकरार है। शिकायत किए जाने के बाद विश्वविद्यालय में खलबली मच गई। डॉ. दीक्षित का कहना है कि उन्हें कुलसचिव की ओर से एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें लिखा हुआ है एक कमेटी के द्वारा आपके मामले में जांच की जाएगी। जांच किए जाने तक आपको विश्वविद्यालय के कार्यों से कार्य विरत किया जा रहा है।
आज उन्हें सूचना मिली है कि कार्य परिषद के माध्यम से उन्हें हटा दिया गया है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय के हित में उन्होंने कई कार्य किए हैं। विश्वविद्यालय को शत प्रतिशत केस जिताए हैं। फिर भी उनके बिलों के भुगतान के लिए उनसे कमीशन मांगा जा रहा है। विश्वविद्यालय में बड़े-बड़े भ्रष्टाचार हो रहे हैं। करोड़ों रुपए की वित्तीय हानि की जा रही है। यहां के हालातो को सुधारने के लिए और जिम्मेदारों पर कार्रवाई के लिए वह न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएंगे।