मथुरा। प्रदेश में पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएं जनपद मथुरा में दर्ज की गई हैं। इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में निरंतर भ्रमणशील रहें और पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखें।

बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि सभी सचिव, ग्राम प्रधान, लेखपाल आदि किसानों से संवाद स्थापित करें तथा उनसे पराली खरीदकर गौशालाओं में पहुंचाने की व्यवस्था करें। साथ ही पराली को विभिन्न स्थानों से क्रय कर सी0बी0जी0 प्लांट तक भी पहुंचाया जाए।

उन्होंने जिला पंचायात राज अधिकारी, उप कृषि निदेशक, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी एवं खंड विकास अधिकारियों को निर्देशित किया कि ट्रैक्टरों के माध्यम से किसानों की पराली को उनके खेतों से उठवाकर गौशालाओं में भिजवाया जाए।

जिलाधिकारी ने कृषकों को चेतावनी दी कि पराली जलाना दंडनीय अपराध है, जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। फसल अवशेष जलाने पर दो एकड़ तक ₹5000, दो से पाँच एकड़ तक ₹10000 तथा पाँच एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए ₹30000 तक पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली की जाएगी। पुनरावृत्ति की स्थिति में अर्थदंड व कारावास का भी प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम या अन्य फसल अवशेष यंत्रों के कोई भी कम्बाइन हार्वेस्टर चलाते पाया गया तो उसे तत्काल सीज किया जाएगा। जिलाधिकारी ने किसानों को आगाह किया कि पराली जलाने की घटनाएं उपग्रह निगरानी प्रणाली से 24 घंटे मॉनिटर की जाती हैं, इसलिए किसी भी घटना को छिपाया नहीं जा सकता।

अंत में जिलाधिकारी ने सभी कृषकों से अपील की कि वे फसल अवशेष को जलाने के बजाय मृदा में मिलाकर कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि करें, जिससे भूमि की उर्वरता और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रहेंगे।

राहुल गौड एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में कार्य करने का 10 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा में सक्रिय रहते हुए उन्होंने विभिन्न समाचार माध्यमों के लिए निष्पक्ष और प्रभावशाली रिपोर्टिंग की है। उनके कार्य में स्थानीय मुद्दों की गंभीर समझ और जनसरोकार से जुड़ी पत्रकारिता की झलक मिलती है।

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