वाराणसी/नई दिल्ली: भारत की प्राचीन सभ्यताओं को जोड़ने वाली अनूठी पहल ‘काशी तमिल संगमम् (केटीएस) 4.0’ की जोरदार शुरुआत हो गई है। आज सुबह 11:45 बजे विशेष ट्रेन संख्या 06001 से कन्याकुमारी से छात्रों का पहला दल वाराणसी के लिए रवाना हुआ। इस ट्रेन में कन्याकुमारी से 43 छात्र चढ़े, जबकि तिरुचिरापल्ली (टीपीजे) पर 86 और चेन्नई एग्मोर (एमएस) पर 87 छात्र शामिल होंगे। यह यात्रा न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है, बल्कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करने वाली एक उत्साहपूर्ण शुरुआत साबित हो रही है।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस चौथे संस्करण का उद्घाटन 2 दिसंबर 2025 को वाराणसी के नामो घाट पर होगा, जो कार्तिगाई दीपम के साथ मेल खाकर विशेष महत्व रखता है। कार्यक्रम 2 से 15 दिसंबर तक चलेगा और दो चरणों में आयोजित होगा – पहला चरण उत्तर प्रदेश (वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या) में और दूसरा तमिलनाडु में। कुल 1400 प्रतिनिधि, जिसमें छात्र, विद्वान, कारीगर, शिक्षक और कलाकार शामिल हैं, तमिलनाडु से उत्तर भारत के धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्रों का भ्रमण करेंगे। इसकी थीम ‘लर्न तमिल – तमिल कार्कलम’ (Learn Tamil – Tamil Karkalam) है, जो तमिल भाषा और संस्कृति के प्रति युवाओं में रुचि जगाने पर केंद्रित है।
छात्रों की यात्रा: सांस्कृतिक पुल का निर्माण
इस पहले दल में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्र शामिल हैं, जो वाराणसी पहुंचकर गंगा घाटों, काशी विश्वनाथ मंदिर, माता अन्नपूर्णा मंदिर और महाकवि सुब्रह्मण्य भारती के पैतृक निवास जैसे तमिल धरोहर स्थलों का भ्रमण करेंगे। वे स्थानीय समुदायों से संवाद करेंगे, सेमिनारों में भाग लेंगे, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद लेंगे और स्थानीय व्यंजनों व हस्तशिल्प से रूबरू होंगे। यह अनुभव उत्तर और दक्षिण भारत की साझा विरासत – भाषाई, आध्यात्मिक और जीवनशैली – को जीवंत रूप देगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से प्रेरित यह पहल आईआईटी मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के समन्वय से हो रही है। संस्कृति, पर्यटन, सूचना एवं प्रसारण, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, एमएसएमई और कौशल विकास मंत्रालयों के साथ उत्तर प्रदेश सरकार भी सहयोग कर रही है। विशेष रूप से, काशी से 300 कॉलेज छात्र तमिलनाडु के संस्थानों में 15 दिनों के तमिल सीखने के कार्यक्रम में भाग लेंगे।
पूर्व कार्यक्रमों की झलक और अपेक्षाएं
पिछले संस्करणों की तरह, केटीएस 4.0 भी राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देगा। प्री-इवेंट गतिविधियां पहले से ही शुरू हो चुकी हैं – जैसे दशाश्वमेध घाट पर आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता, जहां छात्रों ने सांस्कृतिक थीम पर चित्र बनाए। सात विशेष ट्रेनें तमिलनाडु से वाराणसी तक संचालित होंगी, जिसमें पहली ट्रेन आज ही रवाना हुई।
यह कार्यक्रम न केवल सभ्यतागत संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि युवाओं में सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सहभागिता की भावना जगाएगा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले संस्करणों में हजारों प्रतिभागियों ने ऐसी यात्राओं से नई प्रेरणा प्राप्त की थी।