आगरा। किसानों की कृषि भूमि को नीलाम किए जाने की प्रक्रिया के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) शिवांगी शुक्ला से मुलाकात कर तीन सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। यूनियन ने स्पष्ट किया कि यदि 9 जून से प्रस्तावित नीलामी नहीं रोकी गई, तो संगठन को जमीन पर संघर्ष के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
प्रतिनिधिमंडल ने भूमि विकास बैंक द्वारा ऋण वसूली के नाम पर चलाई जा रही नीलामी प्रक्रिया को किसान विरोधी करार दिया। यूनियन नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि अन्नदाता की इज्जत और अस्तित्व का सौदा है।
ज्ञापन में किसान यूनियन ने प्रमुख रूप से तीन मांगें रखीं। ये हैं-
-9 जून से 23 जून तक प्रस्तावित भूमि नीलामी को रद्द किया जाए।
-किसानों को तत्काल एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) का लाभ दिया जाए।
-किसानों को सम्मानपूर्वक किस्तों में भुगतान का अवसर प्रदान किया जाए।
अपर जिलाधिकारी शिवांगी शुक्ला ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता पर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारियों से वार्ता कर नीलामी प्रक्रिया को रोकने और समाधान योजना लागू कराने का प्रयास होगा।
यूनियन के मंडल अध्यक्ष रणवीर सिंह चाहर ने दो टूक कहा, किसानों की एक इंच भी जमीन नीलाम नहीं होने देंगे। जरूरत पड़ी तो सड़कों पर उतरेंगे।
जिलाध्यक्ष राजवीर लवानियां ने कहा, यह जमीन नहीं, किसान की अस्मिता की नीलामी है। अगर सरकार ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो आगरा जनपद में बड़ा आंदोलन होगा।
ज्ञापन की प्रतिलिपि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री और सहकारी ग्राम विकास बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों और शाखा प्रबंधक को भी भेजी गई है, ताकि उच्च स्तर से इस मसले पर हस्तक्षेप हो सके।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जिलाध्यक्ष राजवीर लवानियां ने किया। उनके साथ मंडल अध्यक्ष रणवीर सिंह चाहर,यदुवीर सिंह चाहर, हरिओम सिंह तोमर, मनीष शर्मा, सहित पीड़ित किसान मौजूद रहे।
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