आगरा: दीपोत्सव की चमक-दमक और खुशियों के बीच आगरा के रुनकता क्षेत्र में बुधवार रात एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरारा बिचपुरी में कार्यरत लैब असिस्टेंट नरेंद्र सिंह ने अपने किराए के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 38 वर्षीय नरेंद्र का यह कदम सभी के लिए स्तब्ध करने वाला है, और अब इलाके में एक ही सवाल गूंज रहा है – आखिर शांत स्वभाव के नरेंद्र ने ऐसा क्यों किया?
घटना का विवरण
मिली जानकारी के मुताबिक, नरेंद्र सिंह मूल रूप से लखनऊ के कृष्णा नगर के निवासी थे और पुत्र स्व. रामनाथ सिंह थे। पिछले दस वर्षों से वे आगरा के रुनकता क्षेत्र में कार्यरत थे। पहले रुनकता स्वास्थ्य केंद्र और अब बरारा स्वास्थ्य केंद्र पर लैब असिस्टेंट के रूप में तैनात थे। वे रुनकता में भूदेव चौधरी के मकान में किराए पर रहते थे। दीपावली के अवसर पर अन्य किराएदार अपने घर चले गए थे, लेकिन नरेंद्र यहीं रह गए।
बुधवार सुबह मकान मालिक के पुत्र इंद्रजीत फौजी ने नरेंद्र के कमरे का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। दोपहर में फोन भी रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब सात बजे जब दरवाजा अंदर से बंद मिला और कोई हलचल नहीं हुई, तो इंद्रजीत ने तुरंत इमरजेंसी नंबर 112 पर कॉल कर दी।
पुलिस की कार्रवाई
सूचना मिलते ही रुनकता चौकी प्रभारी नीलेश शर्मा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंची। खिड़की से झांकने पर देखा गया कि नरेंद्र सिंह पंखे से रस्सी के सहारे लटके हुए हैं। नीचे जमीन पर गद्दा बिछा हुआ था और शव घुटनों के बल मिला। गले में फंदा था। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव को नीचे उतारा। फील्ड यूनिट को बुलाकर साक्ष्य एकत्रित किए गए, पंचनामा भरवाया गया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। कमरे से कैश भी बरामद हुआ है।
कारणों का रहस्य
पुलिस फिलहाल मृतक के परिजनों से संपर्क साधने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब तक उनसे बात नहीं हो सकी। आत्महत्या के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। स्थानीय लोग नरेंद्र को शांत, संकोची और काम में व्यस्त रहने वाला व्यक्ति बताते हैं। दीपोत्सव के इस खुशी के मौके पर उनका यह कदम सभी के लिए रहस्यमय और दुखद है। ग्रामीणों का कहना है कि शायद नरेंद्र किसी निजी तनाव से जूझ रहे थे, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिला।

