आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के ट्रांस यमुना थाना क्षेत्र में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां मकान पर कब्जे को लेकर चल रहे विवाद में पुलिसकर्मियों पर एक महिला को छत से फेंकने का गंभीर आरोप लगा है। इस घटना के बाद स्थानीय विधायक के हस्तक्षेप और परिजनों के हंगामे के बाद डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने चार पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबित पुलिसकर्मियों में उप निरीक्षक राजकुमार गोस्वामी, निखिल, हेड कांस्टेबल शैलू यादव और मनोज शामिल हैं।

घटना का विवरण
घटना शुक्रवार (18 जुलाई 2025) दोपहर की है, जो आगरा के आयुष विहार (कालिंदी विहार) में हुई। पीड़िता प्रेमलता, जो अपने पति शिशुपाल और बेटे दुष्यंत व बहू नेहा के साथ रहती हैं, ने बताया कि उनका मकान को लेकर बबली देवी के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा है। प्रेमलता के अनुसार, 29 जून 2024 को उन्होंने अपना 50 वर्ग गज का दोमंजिला मकान बबली देवी के नाम बैनामा किया था। बबली ने 1.11 लाख रुपये एडवांस में दिए थे, जबकि 7.70 लाख रुपये का चेक देने का वादा किया गया था। हालांकि, चेक के जरिए भुगतान नहीं हुआ और बबली ने धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए 24 जून 2025 को ट्रांस यमुना थाने में प्रेमलता के खिलाफ मारपीट, गाली-गलौज, चोरी और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। यह मामला वर्तमान में कोर्ट में विचाराधीन है।

प्रेमलता का आरोप है कि शुक्रवार को ट्रांस यमुना थाने की पुलिस उनके घर पर मकान खाली कराने के लिए पहुंची। कुछ पुलिसकर्मी वर्दी में थे, जबकि कुछ सादे कपड़ों में। उन्होंने पड़ोसी के घर की छत के रास्ते उनके घर में प्रवेश किया और गाली-गलौज करते हुए तोड़फोड़ शुरू कर दी। इस दौरान प्रेमलता की पुत्रवधू नेहा, जो दो माह की गर्भवती है, ने पुलिसकर्मियों की इस हरकत का वीडियो अपने मोबाइल में रिकॉर्ड करने की कोशिश की। आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने नेहा का मोबाइल छीन लिया और उसे पहली मंजिल की छत से नीचे फेंक दिया। इसके अलावा, घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे को तोड़कर उसकी चिप भी निकाल ली गई।

घटना के बाद नेहा को गंभीर हालत में कालिंदी विहार के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रेमलता ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उनके पति शिशुपाल को गाड़ी में डालकर पिटाई की और मकान खाली करने का दबाव बनाया।

परिजनों का हंगामा और विधायक का हस्तक्षेप
घटना के बाद प्रेमलता और उनके परिजनों ने थाने पर जमकर हंगामा किया। स्थानीय विधायक एत्मादपुर डॉ. धर्मपाल सिंह भी थाने पहुंचे और मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की। उनके दबाव के बाद डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया और मामले की जांच शुरू कर दी।

पुलिस का पक्ष
एसीपी छत्ता पियूषकांत राय ने दावा किया कि पुलिसकर्मी केस के सिलसिले में आरोपियों के बयान दर्ज करने गए थे। उनके अनुसार, नेहा डर के कारण पहली मंजिल पर गई थी और वहां से खुद गिर गई। उन्होंने कहा कि तहरीर मिलने पर विधिक कार्रवाई की जाएगी और पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच की जा रही है। हालांकि, प्रेमलता ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनकी पुत्रवधू को जानबूझकर छत से फेंका गया।

परिजनों की शिकायत और साक्ष्य
प्रेमलता ने बताया कि वह अपने साक्ष्यों के साथ कई बार एसीपी छत्ता और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के पास गईं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि बबली के साथ मिलकर पुलिस उनके परिवार पर मकान खाली करने का दबाव बना रही है। परिजनों का कहना है कि पुलिस ने न केवल नेहा को छत से फेंका, बल्कि उनके घर में तोड़फोड़ की और सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर सबूत मिटाने की कोशिश की।

निलंबित पुलिसकर्मी
निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों के नाम इस प्रकार हैं:
उप निरीक्षक राजकुमार गोस्वामी
निखिल
हेड कांस्टेबल शैलू यादव
मनोज

मामले की जांच और भविष्य की कार्रवाई
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच के साथ-साथ यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या पुलिस ने बिना उचित प्रक्रिया के मकान पर कब्जा कराने की कोशिश की। इस बीच, स्थानीय लोगों और परिजनों में पुलिस के खिलाफ भारी आक्रोश है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस घटना ने आगरा में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मकान विवाद जैसे संवेदनशील मामलों में पुलिस की भूमिका और बिना महिला पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में कार्रवाई करने की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह ने कहा कि वह इस मामले को उच्च स्तर पर उठाएंगे और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

यह घटना न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मकान विवाद जैसे मामलों में पक्षपात और दबाव की रणनीति कितनी खतरनाक हो सकती है। पुलिसकर्मियों के निलंबन के बाद अब सभी की नजर इस बात पर है कि जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और पीड़ित परिवार को न्याय मिलता है या नहीं।

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