लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) अभियान पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने इसे ‘देशवासियों के खिलाफ एक बड़ी साजिश’ करार देते हुए सभी विपक्षी दलों और एनडीए के सहयोगी दलों से अपील की कि वे एकजुट होकर भाजपा के ‘वोट काटने के षड्यंत्र’ का पर्दाफाश करें। यादव ने चेतावनी दी कि जो दल भाजपा को अपना सहयोगी मान रहे हैं, वे सबसे पहले ही ‘खत्म’ हो जाएंगे। उन्होंने जनता से भी आह्वान किया कि ‘सारे काम छोड़कर एसआईआर की घपलेबाजी को रोकें’।

अखिलेश यादव ने अपने बयान में एसआईआर को ‘लोकतंत्र के साथ धोखाधड़ी’ बताया और कहा कि यह प्रक्रिया न केवल वोट काटने का माध्यम बनेगी, बल्कि कल को खेत, जमीन, मकान, राशन, जाति और आरक्षण से नाम काटने तक पहुंच जाएगी। उन्होंने चेताया कि ‘यह साजिश अंग्रेजों की गुलामी से भी बदतर स्थिति पैदा कर देगी’। यादव ने कहा, “आज वोट काटा जा रहा है, कल बैंक खाते और मध्यम वर्ग के लॉकर तक पहुंच जाएगी।” उनका यह बयान उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चल रही एसआईआर प्रक्रिया के बीच आया है, जहां विपक्षी दल इसे ‘चुनावी हेराफेरी’ का हथियार बता रहे हैं।

एसआईआर प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप: ‘थर्ड ऑप्शन’ में जबरन सबमिशन

यादव ने प्रदेश में जिला निर्वाचन अधिकारी (डीएम), एडीएम (चुनाव), एसडीएम (ईआरओ) और सुपरवाइजरों द्वारा बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) पर दबाव डालकर मतदाता गणना प्रपत्रों को ‘थर्ड ऑप्शन’ में सबमिट कराने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि फर्स्ट और सेकंड ऑप्शन के मानकों को पूरा करने वाले मतदाताओं को भी थर्ड ऑप्शन में धकेल दिया जा रहा है, जिससे 9 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित होने पर करोड़ों मतदाताओं को ईआरओ नोटिस भेजे जाएंगे। जांच के नाम पर दस्तावेज मांगने से ज्यादातर नाम 7 फरवरी 2026 की अंतिम मतदाता सूची से डिलीट हो जाएंगे।

सपा प्रमुख ने मांग की है कि गणना प्रपत्र भरने की तमाम दिक्कतों को देखते हुए ड्राफ्ट रोल के प्रकाशन को 3 महीने आगे बढ़ाया जाए, ताकि नए सिरे से नियमानुसार प्रक्रिया पूरी की जा सके। उन्होंने कहा, “संघ परिवार, भाजपा सरकार और चुनाव आयोग के कुछ भ्रष्ट लोग पूरी चुनावी व्यवस्था का अपहरण कर रहे हैं।” यादव ने पहले भी (22 नवंबर को) आरोप लगाया था कि एसआईआर के जरिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से 50,000 से अधिक वोट काटे जा रहे हैं, खासकर जहां सपा और इंडिया गठबंधन ने 2024 लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की।

भाजपा का पलटवार: ‘अखिलेश हार के डर से जनता को भ्रमित कर रहे’

भाजपा ने अखिलेश यादव के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें ‘हार के डर से भ्रम फैलाने वाला’ बताया। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “सपा का जमीन पर कोई वजूद नहीं है, इसलिए वे एसआईआर को बहाना बना रहे हैं।” भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने भी कहा कि बिहार चुनाव की हार के बाद अखिलेश यादव पुरानी रट लगा रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग ने सभी दलों को बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त करने का मौका दिया है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि एसआईआर 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही है, जहां बीएलओ फॉर्म वितरित कर रहे हैं और 99% से अधिक मतदाताओं तक पहुंच चुके हैं।

सोशल मीडिया पर बहस तेज: #SIRScam ट्रेंडिंग

एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अखिलेश यादव के बयान को लेकर बहस छिड़ गई है। कई यूजर्स ने #SIRScam और #VoteTheft हैशटैग के साथ पोस्ट शेयर कीं, जहां सपा समर्थक इसे ‘चुनाव चोरी’ बता रहे हैं। एक पोस्ट में लिखा गया, “अखिलेश जी ने साफ कहा- एसआईआर वोट चोरी से आगे, खुली लूट है। इंडिया गठबंधन को एकजुट होना चाहिए।” वहीं, भाजपा समर्थक इसे ‘विपक्ष की हार का रोना’ बता रहे हैं। एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “सपा आतंक विरोधी कार्रवाई को भी वोटबैंक से जोड़ रही है।” न्यूज एrena इंडिया जैसे हैंडल ने वीडियो शेयर कर कहा, “बीएलओ सहयोग नहीं कर रहे, भाजपा-ईसी सपा जीती सीटों से वोट काटने की साजिश रच रहे।”

एसआईआर का संदर्भ: क्या है यह प्रक्रिया?

चुनाव आयोग ने 2025 में 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित) में एसआईआर शुरू किया है, जो मतदाता सूची को अपडेट करने का विशेष अभियान है। 9 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल और 7 फरवरी 2026 को फाइनल रोल प्रकाशित होगा। विपक्ष का दावा है कि यह शादी-ब्याह के मौसम में चलने से असुविधा हो रही है, जबकि आयोग इसे पारदर्शी बताता है।

अखिलेश यादव का यह बयान 2027 यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया है, जब सपा अपनी 2024 लोकसभा सफलता को दोहराने की कोशिश में है। सपा कार्यकर्ताओं को अलर्ट रहने का निर्देश देते हुए यादव ने कहा, “हम कांटा निकालने के लिए कांटा इस्तेमाल करेंगे।” विपक्षी एकता की यह अपील राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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