आगरा। आगरा–लखनऊ एक्सप्रेसवे पर की गई एक नियमित वाहन जांच ने जीएसटी चोरी के एक बड़े और संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया। राज्य कर विभाग, आगरा की सचल दल तृतीय इकाई द्वारा रोके गए सुपारी से लदे ट्रक की जांच में सामने आया कि करीब 19 करोड़ रुपये मूल्य की ड्राई सुपारी को फर्जी टैक्स इनवॉइस, ई-वे बिल और बिल्टी के सहारे असम से दिल्ली भेजा जा रहा था। प्रारंभिक जांच में यह पूरा मामला सुनियोजित जीएसटी चोरी और अवैध इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी ) पास-ऑन से जुड़ा पाया गया।
जांच के दौरान वाहन चालक साकिर खान ने खुद को ट्रक का ड्राइवर बताते हुए कहा कि वह सुपारी की खेप असम से दिल्ली ले जा रहा है। चालक ने ट्रांसपोर्टर फर्म प्राइम लॉजिस्टिक, गुवाहाटी की बिल्टी प्रस्तुत की। साथ ही सप्लायर फर्म मै. योंक ट्रेडर्स, गुवाहाटी द्वारा जारी दो टैक्स इनवॉइस और उनसे संबंधित ई-वे बिल भी दिखाए गए, जिनमें दिल्ली की फर्म मै. सस्टेन रेबेल कंपनी को बायर और कन्साइनी दर्शाया गया था।
जब राज्य कर विभाग ने इन दस्तावेजों की जीएसटी पोर्टल से गहन जांच की तो कई चौंकाने वाली अनियमितताएं सामने आईं। जांच में पाया गया कि जिस रिसीपिएंट फर्म मै. सस्टेन रेबेल कंपनी के नाम माल दिखाया गया था, उसका GSTIN पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। वहीं सप्लायर फर्म मै. योंक ट्रेडर्स ने करोड़ों रुपये की सुपारी बिक्री दर्शाते हुए इनवॉइस तो जारी किए, लेकिन अपने जीएसटी रिटर्न में आज तक ड्राई सुपारी (HSN-080280) की कोई भी आउटवर्ड सप्लाई घोषित ही नहीं की थी।
अधिकारियों के अनुसार यह स्थिति साफ तौर पर संकेत देती है कि फर्म केवल कागजों पर लेनदेन दिखाकर GST चोरी के उद्देश्य से काम कर रही थी। जांच में यह भी सामने आया कि विभिन्न वित्तीय वर्षों में इस फर्म द्वारा कई करोड़ रुपये मूल्य की सुपारी के बिल जारी किए गए, जबकि न तो वास्तविक खरीद और न ही बिक्री का कोई रिकॉर्ड रिटर्न में मौजूद है। इसका सीधा अर्थ है कि फर्जी इनवॉइस के जरिए अवैध आईटीसी पास किया जा रहा था।
मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब विभागीय जांच में यह खुलासा हुआ कि सप्लायर और रिसीपिएंट दोनों ही फर्में भौतिक रूप से अस्तित्वहीन हैं। संबंधित राज्यों की एडज्यूडिकेटिंग अथॉरिटी के माध्यम से कराई गई जांच में यह पुष्टि हुई कि जिन पतों पर इन फर्मों का पंजीकरण दर्शाया गया है, वहां किसी प्रकार का वास्तविक व्यापार नहीं हो रहा था। इससे स्पष्ट हो गया कि यह पूरा नेटवर्क फर्जी कंपनियों के जाल के जरिए संचालित किया जा रहा था।
राज्य कर विभाग का आरोप है कि माल स्वामी, वाहन स्वामी और वाहन चालक की आपसी मिलीभगत से कूटरचित दस्तावेज तैयार कर माल का परिवहन किया जा रहा था, ताकि सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया जा सके। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि यह खेप किसी बड़े अंतरराज्यीय GST चोरी रैकेट का हिस्सा हो सकती है, जिसमें कई अन्य फर्जी फर्में और व्यक्ति भी शामिल हैं।
इस प्रकरण में वाहन चालक साकिर खान, वाहन स्वामी जाकिर खान, सप्लायर फर्म मै. योंक ट्रेडर्स और रिसीपिएंट फर्म मै. सस्टेन रेबेल कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस और राज्य कर विभाग की टीमें संयुक्त रूप से मामले की विस्तृत जांच में जुटी हैं। अधिकारियों का कहना है कि दस्तावेजों, मोबाइल कॉल डिटेल्स और बैंक लेनदेन की जांच के बाद इस GST चोरी नेटवर्क से जुड़े और भी नाम सामने आ सकते हैं।

