बहराइच। यूपी के बहराइच जिले में सांप्रदायिक हिंसा और रामगोपाल हत्याकांड मामले में गुरुवार को अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुख्य दोषी सरफराज को फांसी की सजा सुनाई है। इसके अलावा आठ दोषियों को आजीवन कारावास, जबकि सैफ अली को आठ वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है।
यह घटना 13 अक्टूबर 2024 की है, जब दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान रामगोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद जिले में सांप्रदायिक तनाव फैल गया था और हालात नियंत्रित करने के लिए PAC और RAF की तैनाती तक करनी पड़ी थी।
बुधवार को दोष सिद्ध, गुरुवार को सजा
बुधवार को आए फैसले में अदालत ने सरफराज उर्फ रिंकू, उसके पिता अब्दुल हमीद, भाइयों फहीम और तालिब उर्फ सबलू सहित कुल 10 आरोपियों को दोषी ठहराया था। गुरुवार दोपहर बाद सभी दोषियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। कचहरी परिसर में सुबह से ही लोगों की भीड़ और गहमागहमी बनी रही।
कचहरी में दिनभर तनाव और उत्सुकता
सजा के ऐलान से पहले कचहरी परिसर में भारी भीड़ जमा रही। स्थानीय लोग, मृतक के परिजन और वकील लगातार कोर्टरूम के बाहर जुटे रहे। सभी की निगाहें सजा पर टिकी थीं। जैसे ही फैसला आया, पूरे परिसर में चर्चाओं का दौर तेज हो गया।.
क्या है पूरा मामला?
रामगोपाल हत्याकांड को लगभग 14 महीने पूरे होने वाले हैं। दुर्गा विसर्जन जुलूस के दौरान हुई इस हत्या ने पूरे जिले में तनाव फैला दिया था।
हालात संभालने के लिए PAC और RAF को लगाया गया, डीएम और एसपी खुद मौके पर डटे रहे, स्थिति सामान्य न होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप किया, यूपी ATS चीफ अमिताभ यश को पूरे मामले की जिम्मेदारी सौंपी गई ।
इस घटना ने कई परिवारों की ज़िंदगी बदल दी। रामगोपाल की मां मुन्नी देवी आज भी उस दिन को याद कर रो पड़ती हैं। पत्नी रोली मिश्रा न्याय की लंबी लड़ाई में टूट चुकी हैं। पिता कैलाश नाथ मिश्र बेटे की हत्या के बाद से बीमार चल रहे हैं और फिलहाल मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं। बड़े बेटे हरमिलन मिश्र ही अब परिवार का सहारा बने हुए हैं।
जांच में लापरवाही पर पुलिस अधिकारी निलंबित
अपर पुलिस अधीक्षक डीपी तिवारी के अनुसार घटना के अगले दिन हरदी एसओ सुरेश कुमार वर्मा और महसी चौकी इंचार्ज शिव कुमार सरोज को निलंबित किया गया, तीन दिन बाद सीओ रुपेंद्र गौड़ पर भी सुरक्षा चूक के आरोप में कार्रवाई की गई, मामले में विभागीय जांच अंतिम चरण में है और जल्द ही संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद बहराइच के लंबित इस चर्चित मामले पर कानूनी अध्याय समाप्त हुआ, वहीं पीड़ित परिवार ने इसे न्याय की जीत बताया है।

