झाँसी: माफिया डॉन अतीक अहमद के मंझले बेटे अली के झांसी जेल के बैरक नंबर 6 में शिफ्ट होने के बाद स्थानीय पुलिस और जेल प्रशासन के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। आशंका जताई जा रही है कि अतीक गैंग के आईएस-227 गिरोह के गुर्गे छोटे-मोटे अपराधों के बहाने जेल में घुसने की कोशिश करेंगे, ताकि अली का संपर्क बनाए रख सकें। पुलिस ने पहले ही गैंग के 100 से अधिक सदस्यों को चिह्नित कर लिया है, लेकिन इनकी शिनाख्त और रोकथाम अब प्रमुख मुद्दा बन गया है।

अतीक गैंग का जेलों में पुराना इतिहास

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर हमेशा से जेलों को अपना ‘कमांड सेंटर’ बनाने का आरोप लगा रहा है। बसपा शासनकाल से ही अतीक का नैनी सेंट्रल जेल से गहरा नाता था, जहां वह कई वर्षों तक बंद रहा। उस दौरान उसके दर्जनों गुर्गे चोरी, मारपीट जैसे मामूली अपराधों में फंसकर जेल पहुंच जाते थे, ताकि अतीक का जेल के अंदर भी राज कायम रहे।

अशरफ के बरेली जेल में बंद रहने के दौरान भी प्रयागराज के कई बदमाश वहां शिफ्ट हो गए थे। इन गुर्गों की मदद से भाईयों ने जेल में भी अपना आतंक कायम रखा—संदेशों का आदान-प्रदान, धमकियां, और यहां तक कि बाहरी गतिविधियों का संचालन। अतीक और अशरफ की हत्या (अप्रैल 2023) के बाद भी यह पैटर्न जारी है।

बेटों पर भी पिता का साया: उमर और अली का जेल जीवन

अतीक की हत्या के बाद उसके बड़े बेटे उमर लखनऊ जेल में बंद हैं, जबकि अली पहले नैनी सेंट्रल जेल में था। दोनों ही पिता के रास्ते पर चल पड़े हैं—अपराध, धमकियां, और गैंग एक्टिविटी। नैनी जेल में अली के प्रवास के दौरान उसके गुर्गों का जमावड़ा हो गया था। अब अली के झांसी शिफ्ट होने से आशंका है कि गैंग के सदस्य फिर से एकत्रित होंगे।

पुलिस ने गैंग के प्रमुख शूटरों—आबिद, फरहान, मल्ली, जुल्फिकार ‘तोता’—सहित 100 से अधिक सदस्यों की सूची तैयार की है। अतीक-अशरफ की मौत के बाद अली को ही गैंग का मुख्य हैंडलर माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, ये गुर्गे जेल में पहुंचकर अली को निर्देश दे सकते हैं या बाहरी साजिशों को अंजाम देने में मदद कर सकते हैं।

पुलिस और जेल प्रशासन की सतर्कता

झांसी जेल के वरिष्ठ अधीक्षक विनोद कुमार ने कहा, “सभी परिस्थितियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। नए कैदियों की स्क्रीनिंग सख्त की गई है, और संदिग्ध गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई होगी।” पुलिस ने जेल के आसपास निगरानी बढ़ा दी है, साथ ही गैंग सदस्यों पर नजर रखने के लिए इंटेलिजेंस यूनिट को अलर्ट किया है।

प्रयागराज एसएसपी डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने बताया, “अतीक गैंग के अवशेषों को नेस्तनाबूद करने के लिए विशेष अभियान चल रहा है। जेलों में घुसपैठ रोकने के लिए इंटर-जेल ट्रांसफर पर सख्ती बरती जा रही है।” हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जेलों में गैंग नेटवर्क तोड़ना आसान नहीं, क्योंकि छोटे अपराधों के बहाने घुसना आसान हो जाता है।

  • रिपोर्ट – नेहा श्रीवास
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